Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 12
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ २ देव-शास्त्र-गुरु आचार्य समन्तभद्र ( व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व ) लोकैषणा से दूर रहने वाले स्वामी समन्तभद्र का जीवनचरित्र एक तरह से अज्ञात ही है। जैनाचार्यों की यह विशेषता रही है कि महान कार्यों के करने के बाद भी उन्होंने अपने बारे में कहीं कुछ नहीं लिखा है। जो कुछ थोड़ा बहुत प्राप्त है, वह पर्याप्त नहीं। - आप कदम्ब राजवंश के क्षत्रिय राजकुमार थे। आपके बाल्यकाल का नाम शान्ति वर्मा था। आपका जन्म दक्षिण भारत में कावेरी नदी के तट पर स्थित उरगपुर नामक नगर में हुआ था। आपका अस्तित्व विक्रम सं. १३८ तक था। आपके पारिवारिक जीवन के सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं है। आपने अल्पवय में ही मुनि दीक्षा धारण करली थी। दिगम्बर जैन साधु होकर आपने घोर तपश्चरण किया और अगाध ज्ञान प्राप्त किया। आप जैन सिद्धान्त के तो अगाध मर्मज्ञ थे ही; साथ ही तर्क, न्याय, व्याकरण, छन्द, अलंकार, काव्य और कोष के भी अद्वितीय पण्डित थे। आपमें बेजोड़ वाद-शक्ति थी। आपने कई बार घूम-घूम कर कुवादियों का गर्व खण्डित किया था। आपके आत्मविश्वास को निम्न पंक्तियों में देखा जा सकता Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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