Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 40
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates यहाँ यह प्रश्न उठ सकता है कि तीव्र राग तो हिंसा है, पर मंद राग को हिंसा क्यों कहते हो? पर बात यह है कि जब राग हिंसा है तो मंद राग अहिंसा कैसे हो जावेगा, वह भी तो राग की ही एक दशा है। यह बात अवश्य है कि मंद राग मंद हिंसा है और तीव्र राग तीव्र हिंसा हैं। अतः यदि हम हिंसा का पूर्ण त्याग नहीं कर सकते हैं तो उसे मंद तो करना ही चाहिए। राग जितना घटे उतना ही अच्छा है, पर उसके सद्भाव को धर्म नहीं कहा जा सकता है। धर्म तो राग-द्वेष-मोह का प्रभाव ही है और वही अहिंसा है, जिसे परम धर्म कहा जाता है। प्रश्न १. “अहिंसा" पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिये, जिसमें अहिंसा के संबंध में प्रचलित गलत धारणाओं का निराकरण करते हुए सम्यक् विवेचन कीजिये। २. प्राचार्य अमृतचन्द्र के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डालिये। ३. “ रागादि भावों की उत्पत्ति ही हिंसा है और रागादि भावों की उत्पत्ति नहीं होना ही अहिंसा है।” उक्त विचार का तर्कसंगत विवेचन कीजिये। ४. मंद राग को अहिंसा कहने में क्या आपत्ति है ? स्पष्ट कीजिए। ३७ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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