Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates भगवान पार्श्वनाथ अध्यापक – रमेश! तुम पार्श्वनाथ के बारे में क्या जानते हो ? रमेश - जी, पार्श्वनाथ एक रेल्वे स्टेशन का नाम है। प्रध्यापक – अपने स्थान पर खड़े हो जायो। तुम्हे उत्तर देने का तरीका भी नहीं मालूम ? खड़े होकर उत्तर देना चाहिए। सभ्यता सीखो। हम पूछते हैं भगवान पार्श्वनाथ की बात, आप बताते हैं स्टेशन का नाम। रमेश - जी, मैं कलकत्ता गया था। रास्ते में पार्श्वनाथ नाम का स्टेशन प्राया था, अतः कह दिया। कुछ गलती हो गई हो तो क्षमा करें। अध्यापक – पार्श्वनाथ स्टेशन का भी नाम है, पर जानते हो कि उस स्टेशन का नाम पार्श्वनाथ क्यों पड़ा ? उसके पास एक पर्वत है, जिसका नाम सम्मेदशिखर है। वहाँ से तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया था। यही कारण है कि उस स्टेशन का नाम भी पार्श्वनाथ रखा गया, यहाँ तक कि उस पर्वत को भी पारसनाथ हिल कहा जाता है। यह जैनियों का बहुत बड़ा तीर्थक्षेत्र है, यहाँ लाखों आदमी प्रतिवर्ष यात्रा करने आते हैं। यह स्थान बिहार प्रान्त में हजारीबाग जिले में ईसरी के पास है। पार्श्वनाथ के अलावा और भी कई तीर्थंकरों ने यहां से परमपद (मोक्ष) प्राप्त किया है। प्रध्यापक – और पार्श्वनाथ का जन्म-स्थान कौनसा है ? अध्यापक – काशी, जिसे आजकल वाराणसी (बनारस) कहते हैं। आज से करीब तीन हजार वर्ष पहिले इक्ष्वाकुवंश के काश्यप गोत्रीय वाराणसी नरेश अश्वसेन के यहाँ उनकी विदुषी पत्नी वामादेवी के उदर से, पौष कृष्ण एकादशी के दिन पार्श्वकुमार का जन्म हुआ था। उनके जन्म कल्याणक का उत्सव उनके माता-पिता और जनपदवासियों ने तो मनाया ही था, पर साथ में देवों और इन्द्रों ने भी बड़े उत्साह से मनाया था। ४३ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51