Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 44
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates निदेश – हमने सुना है सिद्धचक्र - विधान से कुष्ट रोग मिट जाता है। कहते हैं कि श्रीपाल और उनके सात सौ साथीयों का कोढ़ इसी से मिट था। उनकी पत्नी मैना सुन्दरी ने सिद्धचक्र का पाठ करके गंधादक उन पर छिड़का और कोढ़ गायब । जिनेश - सिद्धचक्र की महिमा मात्र कुष्ठ – निरोध तक सीमित करना उसकी महानता में कमी करना है। कुष्ठ तो शरीर का रोग है, आत्मा का कोढ़ तो राग-द्वेष - मोह है । जो आत्मा सिद्धों के सही स्वरूप को जानकर उन जैसी अपनी आत्मा को पहिचान कर उसमें ही लीन हो जावे तो जन्म-मरण और राग-द्वेष - मोह जैसे महारोग भी समाप्त हो जाते हैं। सिद्धों की आराधना का सच्चा फल तो वीतराग भाव की वृद्धि होना है, क्योंकि वे स्वयं वीतराग हैं। सिद्धों का सच्चा भक्त उनसे लौकिक लाभ की चाह नहीं रखता। फिर भी उसके प्रतिशय पुण्य का बंध तो होता ही है, अतः उसे लौकिक अनुकूलतायें भी प्राप्त होती हैं, पर उसकी दृष्टि में उनका कोई महत्त्व नहीं। दिनेश– मैं तो समझता था कि त्यौहार खाने-पीने और मौज उड़ाने के ही होते हैं, पर आज समझ में आया कि धार्मिक पर्व तो वीतरागता की वृद्धि करनेवाले संयम और साधना के पर्व हैं। अच्छा, मैं भी तुम्हारे समान इन दिनों में संयम से रहूंगा और आत्म-तत्त्व को समझने का प्रयास करूँगा। प्रश्न १. धार्मिक पर्व किस प्रकार मनाये जाते हैं ? २. अष्टाह्निका के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिये । ३. नन्दीश्वर द्वीप कहाँ है ? उसमें क्या है ? यह पर्व कब-कब मनाया जाता है। I ४. ५. सिद्धचक्र किसे कहते हैं ? सिद्धों की आराधना का फल क्या है ? ६. क्या तुमने कभी सिद्धचक्र का पाठ होते देखा है ? उसमें क्या होता है ? समझाइये। ४१ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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