Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ ८ अष्टाह्निका महापर्व निदेश – प्रायो भाई जिनेश! पान खायोगे ? जिनेश- नहीं। निदेश - क्यों ? जिनेश- तुम्हें पता नहीं! आज कार्तिक सुदी अष्टमी है न! आज से अष्टाह्निका महापर्व प्रारम्भ हो गया है। निदेश- तो क्या हुअा ? त्यौहार तो खाने-पीने के होते ही हैं। पर्व के दिनों में तो लोग बढ़िया खाते, बढ़िया पहिनते और मौज से रहते हैं। और तुम......? जिनेश- भाई! यह खाने-पीने का पर्व नहीं है, यह तो धार्मिक पर्व है। इसमें तो लोग संयम से रहते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, तात्त्विक चर्चाएँ करते हैं। यह तो प्रात्म-साधना का पर्व है। धार्मिक पर्यों का प्रयोजन तो आत्मा में वीतरागभाव की वृद्धि करने का है। निदेश – इस पर्व को अष्टाह्निका क्यों कहते हैं ? जिनेश-यह पाठ दिन तक चलता है न। अष्ट आठ, अह्नि दिन। आठ दिन का उत्सव सो अष्टाह्निका पर्व। निदेश- तो यह प्रतिवर्ष कार्तिक में आठ दिन का होता होगा? ३८ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51