Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari View full book textPage 3
________________ लाला गोकलचन्द जी नाहर जौहरी संक्षिप्त परिचय - इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान लाहौर था यहां से इस खानदान के पूर्व पुरुष पूज्य लाला निधूमल जी देहली आये । तबही से यह खानदान देहली में ही निवास कर रहा है। तथा आज भी लाहौरी के नाम से प्रसिद्ध है । लाला निधूमल जी के पुत्र लाला सीधूमल जी नामक हुवे । आपके पुत्र जीतमल जो के बुधसिंह जी तथा चुन्नीलाल जी नामक दो पुत्र हुवे । लाला बुधसिंह जी के शादीराम जी नामक एक पुसुने लाला शादीराम जी का सं० १८८५ में जन्म हुआ आपने छोटी उमर से ही अपने व्यापार में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया था। आपने गोटे किनारी का काम शुरू किया . इस व्यापार में आपको बहुत लाभ हुआ। आपका सं० १९३८ में स्वर्गवास हुआ। आपके २ पुत्र लाला भैरोंप्रसाद जी व लाला गोकलचन्द जी हुवे, लाला भैरोंप्रसाद जी का जन्म सं० १९१७ में हुआ। __ लाला गोकलचंद जी का जन्म सं० १९२४ में हुआ, आप स्थानकवासी समाज में बड़े प्रतिष्ठित सज्जन हैं। आपने सं० १९४६ में जवाहरात का व्यापार शुरू किया। इस . व्यापार में आपको काफी सफलता प्राप्त हुई। इस समय आपको फर्म पर जवाहरात तथा किराये व्याज का व्यवसाय होता है। आपकी धार्मिक भावना बढ़ी चढ़ी है आपने कई धार्मिक कार्यो में सहायतायें . प्रदान की हैं। आपको सं० १९६२ में दिल्ली की जैन समाज ने जैन बारादरी का काम सुपुर्द किया। जिस समय यह काम सौंपा गया था, उस समय उस संस्था में १८) रु० मासिकPage Navigation
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