Book Title: Sutra Samvedana Part 05
Author(s): Prashamitashreeji
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 326
________________ सकलतीर्थ वंदना शाश्वत जिनचैत्यों की वंदना का विभाग यहाँ पूरा होता है। यह गाथा बोलते हुए निम्नलिखित सभी शाश्वती जिनप्रतिमाएँ हृदय में उपस्थित होनी चाहिए। स्थान ऊर्श्वलोक में चैत्यों ३१९९ + ६० कुल शाश्वती प्रतिमाएँ ८४,९७,०२३ | १८०/१२० १,५२,९४,४४,७६० प्रत्येक चैत्य में प्रतिमा ३२५९ ७,७२,००,००० असंख्य असंख्य ३१३ १२० १२४ तिर्च्छालोक में अधोलोक में व्यंतरनिकाय में ज्योतिषी में कुलः असंख्य + ८,५७,००,२८२ असंख्य + १५,४२,५८,३६,०८० ३,९१,३२० १८० | १३,८९,६०,००,००० असंख्य असंख्य

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