Book Title: Sutra Samvedana Part 05
Author(s): Prashamitashreeji
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 338
________________ सकलतीर्थ वंदना ३२५ थंभण पास : खंभात गुजरात का एक बड़ा बंदरगाह है। उसमें स्तंभन पार्श्वनाथ भगवान की अति प्रभावक प्रतिमा है। यह प्रतिमा कुंथुनाथ तीर्थंकर के समय में मम्मण नाम के श्रावक ने बनवाई थी जिसकी इंद्र ने, कृष्ण महाराज ने, श्री रामचंद्रजी ने, धरणेन्द्र देव ने, समुद्र के अधिष्ठायक देव इत्यादि प्रभावक पुरुषों ने पूजा की है। इस प्रतिमा का प्रभाव सुनकर नागार्जुन ने भी उसकी उपासना द्वारा सुवर्ण रस सिद्धि प्राप्त की थी। काल के प्रवाह से यह मूर्ति धूल में छिप गई थी। लगभग बारहवीं सदी की शुरुआत में नवांगी वृत्तिकार श्री अभयदेवसूरीजी महाराज को कोढ़ रोग हुआ। तब उनको शासन देवी ने बताया कि, 'जहाँ रोज़ स्वयं ही कपिला गाय का दूध झरता है, उस स्थान पर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा है।' उसके दर्शन और न्हवण के जल से आपका रोग दूर होगा। सूरिजी ने जयतिहुयण स्तोत्र की रचना द्वारा सर्वांग संपूर्ण ऐसी यह प्रतिमा प्रगट की और खंभात से पाँच कोश दूर स्थंभन गाँव में उसकी प्रतिष्ठा की, इसलिए यह स्थंभन पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यह पद बोलते हुए साधक को इस प्रभावक प्रतिमा का स्मरण करते हुए सोचना चाहिए कि, “आज तक अनेकों के द्रव्य-भाव विघ्नों को दूर करनेवाली यह पवित्र प्रतिमा मेरे भी मोक्षमार्ग के विघ्नों को दूर करे और मुझे शीघ्र आत्मिक सुख प्राप्त करवाए।” भरतक्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थों के नामोल्लेखपूर्वक वंदना करने के बाद अब सभी तीर्थों की वंदना करते हुए कहते हैं - गाम नगर पुर पाटण जेह, जिनवर चैत्य नमुं गुणगेहः इस पृथ्वीतल पर स्थित गाँव, नगर, पुर या पत्तन में श्रीसंघ की भक्ति के लिए, अपने परिवार की भक्ति के लिए या सभी की भक्ति

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