Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
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अणाइनिहणम्मि एयम्मि जगम्मि पउरपुण्णोदएण सुलद्धमणुअभवा संखाईया पाणिणो अज्झप्पुन्नइपयं पाविआ । एएसिं पुरिसुत्तमाणं सम्भूयकित्तणाई जिणागमेसु अणेगठाणेसु विहियाई । तेसिं च निदेसो सत्थेसु महापुरिस-सलागापुरिसाभिहाणेण निदंसिज्जइ ।
इह भरहखेत्तम्मि पत्तेगं ओसप्पिणीए तह उस्सप्पिणीए तिसट्ठी तिसट्ठी सलागापुरिसाणं गणणा किजइ, इमीए वट्टमाणकालहुंडावसप्पिणीए चउव्वीसं तित्थयरा, दुवालस चक्कवट्टिणो, नव वासुदेवा, नव बलदेवा, नव पडिवासुदेवा इअ तिसट्ठी सलागापुरिसा संजाया । सिरिसीलंकायरिए नवपडिवासुदेवाणं निदेसं अकिच्चा महापुरिसाणं 'चउप्पण्णं गणणा साहिया अस्थि । तहिं च जीवाणं संवा सट्री अस्थि, जओ सोलसइम-सत्तरसइम-अट्ठारसइमतित्थयरा एयम्मि भवम्मि च्चिय तित्थयरा चक्कवट्टिणो वि संजाया, भिण्णभिण्णभवाविक्खाए जो चिय तिवुद्धवासुदेवो सश्चिय कालंतरम्मि सिरिमहावीरसामी नामेणं चउव्वीसइमो तित्थयरो जाओ, तेण तयविक्खाए एगूणसट्ठी सलागापुरिसा गणिज्जति ।
एएसि सलागापुरिसाणं गुणाणं उक्कित्तणं पुवकालम्मि पुव्वाणुयोगम्मि आसी । भजयणसमए सो न लहिज्जइ । अहुणा उ सलागापुरिसवण्णणविसया गंथा इमे संति । १ चउप्पण्णमहापुरिसचरियं, २ कहावली सिरिभदेसरसूरिविरइया. ३ हेमतिसट्ठी, ४ उवज्झायमेह विजयगणिविरइया लहुतिसट्ठी।
अन्नं च दिगंबरीयमयम्मि महापुरिसवण्णणविसया कईई गंथा संति, जे इमे
१ सिरिजिणसेणायरिएण आइपुराणदुवारेण महापुरिसचरियं पारद्धं, तस्स य सीसेण गुण भषेण उत्तरपुराणरूवेण संपुण्णं विहियं । २ पुप्फदंतविहियं तिसद्विमहापुरिसालंकार किं वा महापुराणं ।
कलिकालसवण्णुसिरिहेमचंदपहुणा सक्कयभासाए तिसद्रिसलागापुरिसचरियं छत्तीससहस्ससिलोगसंखपमाणं विरइयं अस्थि । तं च दससु पव्वेसु विभइयं तहिं च पदमपव्वम्मि छ सम्गा संति ।
एवं इहयं पि पत्थुयचरियं पढमपवस्स पाइयभासाए रूवंतरं अस्थि । इहावि पव्वस्स ठाणम्मि वग्गो तह य सग्गस्स ठाणम्मि उद्देसो एरिसं नामं ठवियं ।
अहिगारा
देवाहिदेव-पढमसिरिउसहणाहस्स तेरस भवा संति । तत्थ पढमोद्देसम्मि दुवालस भवा । तह बीय-उद्देसाओ चरिम-छटुइँसं जाव तेरसमो अंतिमभवो वण्णिओ अस्थि ।
१ समवायसुत्ते-पडिवासुदेवस्य निद्देस्रो म विहिओं, तेण तत्थ चठप्पन्न (५५) संखा कहिया ।
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