Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir विसेसओ-बीयउद्देसम्मि सत्तकुलगराणं वुत्तंतो, तह य भरहचक्कवट्टिस्स उप्पत्ती निट्ठिा । तइयम्मि भरहरायस्स चक्करयणलाहो, मरुदेवाए मोक्खगमणं । चउत्थम्मि भरहरायस्स छक्खंडसाहणा । पंचमम्मि भरहस्स बाहुबलिणा सद्धिं जुद्धं । छटुश्मि भरहनरवइणो पुत्तस्स मरीइणो वेसपरिवट्टणं । सिरिउसहणाहस्स भरहचक्कवट्टिणो य अट्ठावयगिरिम्मि निव्वाणपयसंपत्ती । अवरं च एयस्स गंथरयणाए सिरितवागच्छाहिवइ-सासणपहावग-आबालबभयारि-सूरीसरसेहराऽऽयरियविजयनेमिसूरीस-पट्टालंकार- समयण्णू-वच्छल्लवारिहि-गुरुदेवसिरि--आयरियविजयविण्णाणसूरीसरं सुमरणपहम्मि समाणेमि । तास अणुवमकिवादिट्टीए सुहासिसाए य पेरिओ हं गंथसमत्तीकरणे पक्कलो संजाओ । तस्स य निदेसेण मुद्दणालए मुद्दणदूं एसो गंथो समप्पिओ । किंतु संपुण्णमुद्दणकज्जाओ पुव्वं तस्स गुरुदेवस्स सिरिथंभतित्थे ओसवालुवस्सयम्मि विक्कमस्स नेत्त-भुय-गयण-कर(२०२२) वरिसभ्मि महुमासस्स सुक्कदसमीवासरे आराहणपुव्वगं देहविलयाओ सरणविरहिओ हं संजाओ, तेण गुरुदेवविरहबाहा मे चित्तं अज्ज वि जाव अईव दूमेइ । पज्जते इमस्स गंथस्स मुद्दणपत्ताणं संसोहणकम्मम्मि मईयपरिवारगय-उवज्झायचंदुदयविजयगणि-मुणिअसोगचंदविजय - मुणिजयचंद विजयपमुहेहिं जेहिं सहेज दिण्णं ते वि धण्णवायारिहा। इअ वेय-नयण-गयण कर (२०२४) वरिसम्मि सूरियपुरम्मि विजयकत्थूरसूरी निवेएइ । For Private And Personal

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