Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ (२) Sur ॥ प्रारति तथा मंगलीक दीपक (G)॥ १ पहेली प्रारति प्रथम जिणंदा. .... .... २ आज घरे नाथ पधास्या,कीजें मंगल चार. ३ दीवो रे दीवो मंगलिक दीवो. .... .... ४ महोटी भारति. आदिजिननी. .... ...... ५ जय जय प्रारति देवी तुमारी, चक्रेश्वरीनी. २७ ६ जाग नवियां धर्म वाहागुं,प्रनाति मंगल, ४? सिदारथ नूपति सोहे, चार मंगल. .... ६५ उहविध मंगल आरति कीजें, पंच॥ .... ६१३ ॥ श्रीसिमचक्रजीनां स्तवनो (११) ॥ १ गोयम नाणी हो, के कहें सुणोप्राणी म०॥ १६ २ नवपद महिमा सार, सांजलजो नर नार. १३ ३ श्रीवीरजिणंद वखाण्यो. .... .... .... १७ ४ सेवो रे नवि नावें नवकार, जंपे श्री० ॥ ५ नवियां श्रीसिदचक अाराधो. .... .... २० ६ श्री सिक्ष्चक्र ाराधियें. शिवसुख ॥.... २० ७ धाराहो प्राणी साची नवपद सेवा. .... २१ G गौतमपूबत श्रीजिन नाखत, वचन ॥ .... २१ ए नवपद महिमा सांजलो, वीर नाखे॥ २२ १० समरी शारदमाय, प्रणमीनिज गुरुपाय. ७१ ११ श्रीसिचकने वंदोजी मनोहर ॥ सी..... २२१ ॥जूटक प्रजातीयां (३२) नी अनुक्रमणिका ॥ १ अब तुं चेतन चेत ले,क्षण साखीयो जाय. १४

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