Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 12
________________ (६) ४ एक वार वबदेश आवजो जिणंदजी. .... ७५ ५ पंचमी तप तमें करो रे प्राणी..... .... ए० ६ माता त्रिशनायें पुत्ररतन जाश्यो,पालगुं. २०७ ७ माता त्रिशला फुलावे पुत्र पारणे.हालरीयुं. ११ G सुगजो साजन संत पजसण अाव्यां रे. २५४ । प्रनुजीरे प्रनुजी नाम जपुं मन माहरे..... २५७ १० खतरा दूर करनां दूर करना. .... .... २ए ११ अविनाशीनी सेजडीयें रंग लागो॥ ३५६ १२ धन धन संप्रति साचो राजा, जेणे॥ .४११ १३ जेहने जिनवरनो नहीं जाप,तेह पासुं० ४२५ १४ समकित हार गंजारें पेसतां जी..... ... ४७१ १५ लाल तेरे नैनोकी गतं न्यारी. ... ... ४४ १६ चोवीशे जिनगुण गायें.चोवीशीनो कलश. ५३२ १७ रिसह जिनेसर प्रणमी पाय,चोवीश ती० ५६२ ॥ महोटां स्तवनो तथा रास अने चोढाली यां वगेरे (१७) नी अनुक्रमणिका. १ श्रीमहावीरना पंचकल्याणकनुं चोढालीयु. ४२ २ पुण्यप्रकाशनुं आराधनानुं स्तवन. .... ७४ ३ श्रीगौतम स्वामीनो महोटों रास. .... ४ श्रीगोडीपार्श्वनाथजीनुं चोढालीयु. .... २२७ ५ सुर नर तिरियग योनिमें, ज्ञानपञ्चीशी..... २३३ ६ बालचंद बत्रीशी, अजर अमर पद ॥ ३०३ ७ दान शीयल तप नावनानुं चोढालीयुं..... ३२१

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