Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 16
________________ ( १० ) ॥ श्रीया दिजिननां स्तवनो (२१) नी अनुक्रमणिका ॥ १ प्रादिजिनं वंदे गुणसदनं ..... ‍ ३७ २ आज तो वधाई राजा नानिके दरबार रे. ३ जीरे सफल दिवस आज माहरो . ३८ १ ४ " 8 प्रथम जिनेसर प्रणमीयें, जास सुगंधीरे काय. ५० ५ जगजीवन जगवालहो. मरुने तीनो नंद .. ६ कूपन जिणंदा के जिणंदा, तु दरिसन० १२ ७ निगडी प्रादिनाथनी जो कांड कीजें ० २४७ जपणे आपण ससनेही, रमता नव० ६० एए प्रथम तीर्थकर सेवन साहिबा नदित १६ १० यादीसर जगदीसरू से, अवधारो र २०२ ११ प्रथम जिणंद प्रणमुं पाया. जननी मरु० २०० १२ श्राज नजम ने रे अधिको, जोवा दरिसंन० २४६ १३ मोसें नेह धरी महाराज आज राज० ॥ १४ जाग जाग मुकुटमणि नानीजी के नंदा. १५ नवत प्रजात नाम जिनजीको गाइयें. १६ जयो जयो नायक जगगुरु रे. यादीसर ३१३ १७ अंग नमाहो मुकने प्रति घणो: २५८ २८५ १९३ ३३१ ४६० १८ नेनां सफल नइ में निरख्या नानिकुमार..... ३६२ १५ कूपन जिनेसर प्रीतम माहरा रे.... २० वृपनलंबन दिन एटला, अतिपावन० ५०० २१ कपन जिणंद प्रीतडी, किम कीजें हो० ५०७ 64.9 प

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