Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ ( ७ ) ४०३ हवे राणी पद्मावती, जीवराशि खमावे... ३७४ एए ग्रात्मशिक्षा जावनाना दोहा (१८५) ३७७ १० नतपत्ति जो जो आपणी, जीवोत्पत्ति. ३३ ११ श्रीदर जीव मागुण श्रादर, कमात्रीशी. ३५९ १२ वैकुंठपंथ वीहामणो, दोहिलो बे घाट. १३ जीव विचारनुं स्तवन नव ढालोनुं. १४ नव तत्त्वनुं स्तवन. अगीयार ढालोनुं १.५ चोवीश दंमकनुं स्तवन बवीश ढालोनुं .. १६ बंधकमुनिनुं चोढालीयुं वैराग्यमय. १७ श्रावकने त्रण मनोरथ नाववाना. .... ॥ छंद (ए) नी अनुक्रमणिका ॥ १० ६० ६ १ १ प्रभु पासजी ताहेरुं नाम मीतुं ..... २ वीर जिनेसर केरो शिष्य गौतमजीनो..... ३ वंचित पूरे विविध परें, नवकारनो. ४ आदिनाथ आदिजिनवर वंदि, शोलसतीनो ६३ ५ शारद मायं नमुं शिर नामी शांतिजिननो.....२२५ ६ आपण घर वेगं लील करो, पार्श्वजिननो. २३२ ७ जय जय जगनायक पार्श्वजिनं ..... ४ १५ ४२५ ४५१ ५३३ ५४ १ २३६ सकल सुखाकर जिनवर राय, पार्श्व जिननो. ३५० ए श्री सुमतिदायक ॥ चोत्रीश अतिशयनो. ३७२ || संघाने (४५) नी अनुक्रमणिका ॥ १ लोन न करीयें प्राणीया रे. २ शीलनी नववाडो. उदयरत्नजीकृत. १८ হ

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