Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ (५) mr २७३ १६ विवेकी विमलाचल वसीयें,तप जप करी० २७७ १७ अखीयां सफल नइ में, नेट्या नानिकुमार. २० १७ ए तो सकल तीरथनो राय. .... .... ३१७ १ए चालो चालो सिमाचल जश्य रे,रुप .... २० चालोने प्रीतमजी प्यारा शेजेजे जयें..... ३५७ २१ विमलाचल विमला प्राणी, शीतल .... ३६३ २२ सिवाचल सिदिसुहावे,अनंत अनंत.... ३६४ २३. वीरजी आया रे विमलाचलके मेदान..... ५५१ २४ जे कोड सिगिरिराजने अाराधशे रे लो. ५५० ॥ श्री समेत शिवरादि तीर्थोनां स्तवनो (७) ॥ १ चालो चालो शिखरगिरि जश्ये रे. .... २ शिखरजीकी मात्रा क्युं न करे..... .... ? ३ तुंही नमो नमो समेत शिखर गिरि. .... ३३० ४ याबु पवेत रूयडो रे लाल. .... ५ श्रीराणकपुर रलियामां रे लाल.... ६ जगपति जयो जयो रुपनजिणंद,राणकपुरनुं ३३६ ७ अष्टापद अरिहंतजी महारा वालाजी रे..... ५० G तीरथ अष्ठापद नित्य नमीयें. .... .... ७४ ॥ तूटक न्हानां स्तवनो ( १७ ) नी अनुक्रमणिका ॥ १ श्रीगौतम एना करे, विनय करी ॥ .... २३ २ प्रह समे नाव धरी घणो..... ..... ..... ३६ ३ सिघनी शोना रे शी कहूं..... .... mr

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