Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 7
________________ जैन शासन का पंचरंगी ध्वज विश्व में प्रत्येक देश का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होता है तथा प्रत्येक नागरिक उसका सम्मान करता है क्योंकि ध्वज राष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्र ध्वज की तरह प्रत्येक धर्म का भी अपना ध्वज होता है, वह ध्वज उस धर्म के विशेष गुणों को परिलक्षित करता है। भगवान महावीर के 2500वें निर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में परम पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्दजी मुनिराज ने भगवान महावीर को मानने वाले समस्त जैन साधु/सन्त/श्रेष्ठीयों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर पूर्वाचार्यों द्वारा रचित आगम के मार्गदर्शनानुसार जैन शासन का पंचरंगी ध्वज कैसा हो का निर्णय लिया जिसे सभी ने मान्य किया। जैनागम में पंचरंगी ध्वज का वर्णन : "ता महुरहे बाहिरे थिउ सिमिरू, सेहंतु पंचवण्णेहिं सुकेउ। पडमंडनदूससमग्धविउ णं धरणिहे मंडण णिम्मविउ।" –णायकुमार चरिउ, महाकवि पुष्पदंत, 5.1.1 मथुरा के बाहर स्थापित नागकुमार का शिविर षटमण्डपों और तम्बुओं से समृद्ध तथा पंचरंगी ध्वजाओं से ऐसा शोभायमान हुआ मानों पृथ्वी का अलंकार ही बनाया हो। 'पंचबण्णा पवित्ता विचिता धया।' -पुष्पदन्त महाकवि, महापुराण, 24.12.2, पृष्ठ 122 पंचरंगी पवित्र विचित्र ध्वज है। वैदिक वास्तुशास्त्र में भी पंचपरमेष्ठी को पाँच रंग के प्रतीक माना है। यथा 'स्फटिक श्वेत-रक्तं च पीत-श्याम-निभं तथा। एतत्पंचपरमेष्ठी पंचवर्ण-यथाक्रमम्।। -मानसार. 55/44 अर्थ- स्फटिक के समान श्वेत, लाल, पीत, श्याम (हरा) और नीला (काला)- ये पाँच वर्ण क्रमशः पंचपरमेष्ठी के सूचक हैं। पंचवर्ण का फल 'शान्तौ श्वेत जये श्याम, भद्रे रक्तमभये हरित् । पीतं धनादिसंलाभे, पंचवर्ण तु सिद्धये।। -उमास्वामि-श्रावकाचार, 138, पृष्ठ 55 1. श्वेतवर्ण शांति का प्रतीक है। 2. श्याम वर्ण विजय का सूचक है। 3. रक्तवर्ण कल्याण का कारक है। 4. हरितवर्ण अभय को दर्शाता है। 5. पीतवर्ण धनादि के लाभ का दर्शक है। इस प्रकार पाँचों वर्ण सिद्धि के कारण है। पंचवर्णी ध्वजा को विजय का प्रतीक माना है विजयापंचवर्णभा पंचवर्णमिदं ध्वजम्' -प्रतिष्ठातिलक, 5-10 एवं आशाधरसूरि, प्रतिष्ठा साराद्वार, 3-209 अर्थ-पाँच वर्णों की आभा से युक्त विजयादेवी पाँच वर्णों से युक्त ध्वजा को हाथ में धारण करती है।

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