Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 27
________________ मुक्ताभ अक्षत सुगन्धि चुना चुना के, व्याधिन अक्षत-पदार्थ सजा सजा के। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ॐ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा। कन्दर्प दर्प दलनार्थ नवीन ताजे, बेला गुलाब मच्कुन्द सु पार्जाती। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बज –में चढाता। ॐ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। क्षीरादि मिश्रित अमीघ बल प्रदाता, पक्कान्न थाल यह भूख निवारने को। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ऊँ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय नैवेद्यम निर्वपामीति स्वाहा। रत्नादि दीप नवज्योति कपूर वर्ती, उद्दाम-मोह-तम- तोम सभी हटाने। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ॐ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय दीपम निर्वपामीति स्वाहा। अज्ञान मोह मद से भव में भ्रमाता, ये दुष्ट कर्म, तिस नाशन को दशांगी। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ऊँ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय धूपम निर्वपामीति स्वाहा। 27

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