Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
पद्या
आरोग्य बुद्धि धन धान्य समृद्धि पावें। भय रोग शोक परिताप सुदर जावें। सद्धर्म शास्त्र गुरु भक्ति सुशांति होवे। व्यापार लाभ कुल वृद्धि सुकीर्ती होवे।।
श्री वर्द्धमान भगवान सुबुद्धि देवें। सन्मान सत्यगुण संयम शील देवें।। नव वर्ष हो यह सद सुख शांति दाई। कल्याण हो शुभ तथा अति लाभ होवे।।
पूजा प्रारम्भ अहँतो भग्वंत इन्द्रमहिताः सिद्धीश्वराः। आचार्या जिन शासनोन्नतिकरा:पूज्या उपाध्यायकाः।।
श्रीसिद्धांतसुपाठ का मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः। पंचैते परमेष्ठि नः प्रतिदिनं कुर्वंतु नः मंगलम्।।
ओं जय जय जय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु। णमो अरहंताणं, ण्मो सिद्धाणं, णमो आइरियणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं। चतत्तारि मंगलम, अरिहंता
मंगलम, सिद्धा मंगलम, साहू मंगलम्। केवलि पण्णत्तोधम्मो मंगलम्। चत्तारि लोगुत्तम, अरिहंतालोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तम। केवलिपण्णत्तो धम्मोलोगुत्तमा, चत्तारिसरणं पव्वज्जामि , सहूशरणं पव्वज्जामि केवलिपण्णत्तं
धम्मं सरणं पव्वज्जामि। ऊँअनादिमूलमंत्रेभ्यो नमः
(यह पढ कर पुष्पांजलि क्षेपित करें)
बिनायक यंत्र पूजा अर्ध्य अच्छाम्भः शुचि चन्दनाक्षत सुमै-नैवेद्य कैश्चारुभिः।
दीपैखूप फलोत्तमैः समुदितैरेभिः सुपात्रस्थितैः।। अर्हत्सिद्ध सुसूरिपाठक मुनीन लोकोत्तमान मंगलान्।
प्रत्यूहौधनिवृत्तये शुभकृतः, सेवे शरण्यानहम्।। ऊँ ह्रीं श्री शरणभूतेभ्यः पंचपरमेष्ठिभ्यः अर्ध्यम निर्वपामीति स्वाहा।
17

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34