Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 10
________________ दिवाली की पूजा जैन समाज में दीपावली का पावन पर्व अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति एवं उन्हीं के शिष्य प्रथम गणधर गौतम स्वामी को संध्याकाल में केवल ज्ञान रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति के उपलक्ष्य में मनाते हैं। अतः अन्य सम्प्रदायों से हमारी दीपावली की पूजन विधि पूर्णतः भिन्न है। समस्त जैन श्रावकों को जैनागम के अनुसार ही महोत्सव मनाना चाहिए, अन्यथा मिथ्या क्रिया कहलायेगी। जैन धर्मानुसार जिनालय में एवं शाम को घरों में दीपावली मनाने की विधि इस प्रकार है: मंदिर जी में दीपावली की पूजन विधि कार्तिक कृष्ण चौदस की रात एवं अमावस्या की प्रातः कालीन बेला में श्रावक सामायिक जाप करें, फिर 5 बजे दैनिदिनि चर्या से निवृत हो कर शुद्ध सोला के वस्त्र धारण करें और लाडू सहित अष्ट द्रव्य ले कर जिनालय जायें। वहाँ सभी एक साथ उत्साह पूर्वक 6 बजे अभिषेक और नित्य पूजन के उपरांत महावीर पूजा और निर्वाण कल्याण की पूजन करें। महावीर स्वामी की पूजा करते समय जब केवल ज्ञान कल्याण का अर्घ चढावें तब केवल ज्ञान के प्रतीक स्वरूप शुद्ध घी के 16 दीपकों में 4-4 ज्योति जलायें। निर्वाण कल्याणक की पूजा के समय जब महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याणक का अर्घ चढायें तब निर्वाण कल्याणक पाठ पढकर अर्घ सहित निर्वाण लाडू चढायें तदोपरांत शांतिपाठ एवं विसर्जन करें। 10

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