Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 30
________________ अनिर्वारोद्रेक-स्त्रिभुवन-जयी काम-सुभटः कुमारावस्थायामपि निज-बलाद्येन विजितः । स्फुरन नित्यानन्द-प्रशम-पद- राज्याय सजिनः, महावीर स्वामी नयनपथ - गामी भवतु मे । महा-मोहांतक-प्रशमन-पराकस्मिक भिषग, निरापेक्षो बन्धु-विर्दित-महिमा मंगल-करः । शरण्यः साधूनां भव-भय-भूआ-मुत्तम-गुणो, महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे । महावीराष्टकं स्त्रोत्रं भक्त या 'भागेन्दु' ना कृतम्। यः पठेच्छृणुयाच्चापि, स याति परमां गतिम्।। जिनवाणी माता की आरती जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बे वाणी । सुर नर मुनि ज्ञानी ॥ श्री जिन गिरते निकसी, गुर गौतम वाणी । जीवन भ्रम तुम नाशदीपक दरशाणी।। जय.... कुमत कुलाचल चूरण, वज्रसु सरधानी । नय नियोग निक्षेपण देखन, दरशाणी ॥ जय.... पातक पंक पखालन, पुण्य पाणी। मोह महार्णव डूबत, तारण नौकाणी ॥ जय.... लोकालोक निहारण, दिव्य नेत्र स्थानी। निज पर भेद दिखावन, सूरज किरणानी।। जय.... श्रावक मुनिगण जननी, तुमही गुणखानी । सेवक लख दुखदायक, पावन परमाणी।। जय .... 30

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