Book Title: Jain Diwali Sampurna Puja
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ धत्ता । जा बानी के ज्ञात तै, सूझे लोक अलोक। ___ “द्यानत” जग जयवंत हो, सदा देत हों धोक।। ॐ ह्रीं श्री जिनमुखोद्रभवसरस्वतीदेव्यै महाय॑म निर्वपामीति स्वाहा। श्री गौतम गणधर पूजा श्री गौतम गणईश शीष यह तुम्हे नमा कर आव्हानन अब करूँ आय तिष्ठो मानस पर। पाके केवल ज्योति ज्ञाननिधि हुए गुणाकर। निज लक्ष्मी का दान करो मेरे घट आ कर। श्री गौतम गण ईश जी तिष्ठो मम उर आय। ज्ञान-लक्ष्मी पति बने, मेरी मानव काय। ॐ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्त श्री गौतमगणधराय पुष्पांजलिः। वसंतिका छन्द गांगेय वारि शुचि प्रासुक दिव्य ज्योति। जन्मादि कष्ट निज वारण को लिया ये। संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ऊँ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय जलं निर्वपामीति स्वाहा। कर्पूर युक्त मलयागिर को घिसाया संसार ताप शमनार्थ इसे बनाया संसार के अखिल त्रास निवारने को योगीन्द्र गौतम –पदाम्बुज –में चढाता। ऊँ ह्रीं कार्ति कृष्णामावस्यायां कैवल्यलक्ष्मी प्राप्तये श्री गौतम गणधराय सुगन्धं निर्वपामीति स्वाहा। 26

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34