Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan
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________________ कवि हेमरतन कृत माहो-माहि घणु मनि-मोह, सहि न सकई खिण एक विछोह / पीरमाण तसु सुत अति सूर, प्रतपई तेज तणुं घट पूर // 24 // चतुरंग सैंन संपूरण' साथ, नीतई राज करइ नरनाथ / अरि सगला नॉख्या ऊछेद', खिति धरताँ तसु ना'वह खेद // 25 // सबल सूर साचा ससनेह, छल न करई नवि दाख' छेह / सुरपति दियई जिणारी साखि, इसा सुभट तसु घरि ऐक लाख // 26 // हय गय पायक' रथ नीसंख, करे न सकह को आकंख / इण परि परिगह तणइ पडूरि, रतनसेन राजा भरपूरि // 27 // एक दिवस भोजन नई' समइ, आवी दासी इम वीनमइ / "सांमि ! पधारउ' भोजन भणी', पाक हुआ हुई वेला घणी" // 28 // आवी बइठो नृप बइसण, पटराणीसु प्रेमई घणई। थाल कचोला कनकह तणा, सोवन पाटि पथराव्या घणा // 29 // प्रीसह भोजन भगति भंडार', नारी रंभ तणई अणुहारि। राजा भोजन जीमई रंगि', विचि-विचि वात करई कणयंगि॥३०॥ कदली दलसु घालह वाउ', जिमत जंपइ ते नर-राउ। "आज न भोजन भावइ कोइ, नितु निसवादा जीमण होह // 31 // .. शाक-पाक' सगला पकवान', धुरि निसवादा' लागा धांन / रूडी जुगति करउ रसवती", तव ते पभणई परभावती // 32 // // 24 // १माहिं / 2 घणो , प्रेम / 3 मन-मोह , समोह / / 4 सकई 80, खिण कनखमै . विरह विछोह।। 5 वीरभाण B / 6 प्रतपै / 7 तणो , प्रताप पंडूर। // 25 // 1 संपूरी 0 / 2 उछ्छे द 0 / 3 खेध 0% . सबल सेन सझाइ घणी, न्याय राज पाले गदाधणी। अरि नासै जेहने भडवाव, जिम गेवर दीठे वनराव // 28 // // 26 // १दाखड B / 2 वायह। 3 जिणरी / ४इसा सुभट घरि वसइक लाख B / सामंत सकल वडा रजपूत, साम-ध्रमी वांका रिण-भूत। महिपति मोटा चित्त उदार, नेह लाख सेवे दरबार / / 29 // // 27 // 1 पाएक B / २इणि B / 3 तणई / / 2-3 अवर परिग्गहत है गै रथ पाइक अणपार, नीत-रीत घट ध्रम आधार / रिद्धि-सिद्धि पूरित भंडार, दरबारे नित दै-दैकार // 30 // ॥२८॥१'नरें B, 'नै / / 2 सम( B, समै / / 3 वीनव( B, वीनवर बीनवै / / 4 स्वामि। ५पद्धारो, पधारो / 6 काजिE। 7 वेल B, भोजन ढील न कीजे राज।। // 29 // 1 बइठउ B, बेठो / 2 बइसणइ / / 3 सू, सू०।४प्रेमह 801 ५घण / 'तणां B ७पथराव्या A / 8 घणा / नृप आवी बेठा वेसणे, दासी वाय करे वीझणै / थाल कचोला सोवन तणा, कनक कपाट पथराया घणा // 31 // ॥३०॥१प्रीस / २अपार / 3 राँणी / / 4 तणे / 5 अनुहार।६जीमै / / 7 रंग 0 / 8 करे / / ९पिण चंग। // 31 // .1.1 राजा मित्र कदे न कहाइ / 2 जिमतों 0; 2-3 भोजन विचि बोल्यो न रहाय॥ ४भावै / / ५नित / / ६निसिवादा 07 जीवणि / // 32 // 1 सकल / / 2 पकवान B0 / 3 निसिवादा B0, सुंसवादा / / 4 लागइ होता। 5 धान / / 6 युगति / 7 करो। 8 अनपान / / १'जंपह, मानवणो की अभिमान / /

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