Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 38
________________ पहलो] गोरा वादल पदमणी चउपई राइ कीआ सीतल उपचार, वाली' चेतन पायुं वारि। अमल "अमोलिक देई करी, भाँजी भूख गई नीसरी // 49 // सावधान हु' पंथी' तेह', कर जोडी जंपई ससनेह / "त. मुझ कीधउँ अति उपगार, जनम दी मुझ बीजी वार // 50 // मुझ सरिख' को कहियों' काम, हुं सेवक नई तुं मुझ साँमि"। वलतुं राइ भणइ सविसेस', "तई दीठा बहु देस विदेस // 51 // 'पुहवि फिरंतह तई पदमिणी, काई नारि कठेई सुणी"। तव ते जपई “सुणि मुझ धणी ! सिंघल दीपि' घणी पदमिणी // 52 // 'दक्षिण दिसि छह सिंघल दीप', सगलाँ दीपाँ माहि प्रदीप। आड आवई उदधि' अथाह', तिणि तसु कोइ न लाभइ माह // 53 // इम निसुणी राजा रंजी', सिंघल दीप दिसी चाली। पवन-वेग चंचल चतुरंग, अंबरि ऊज्या बेउ' तुरंग // 54 // गाम नगर पुर पाटण तणा', मारग माहि उलंघ्या घणा। "अखलित गति ऊलंघी मही', समुद्र समीपइँ आव्या वही // 55 // आगलि' उदधि करई कल्लोल, छिटकि रही चिहुँ दिसि जलछोलि / पवहण तिकोई पइसा नही, तउ कुण माणस जाई वहीं // 56 // पाणीसु नवि चालइ प्राण', 'उदधि तणा आवइ ऊधाण / रतनसेन चिति चिंतई इसुं, हिव जगदीस करीजह किसु॥५७ // // 19 // 1 वाल्यो / 2 चेतनइ / 3 पायो , प्याइ / ४.४...गालि पायो ततकाल, तब प्रगट्यो बल तेज विलास / / ॥५॥१हुयो OE | 2 सवि / 3 देह / 4 जोडीद B, जोडी इम / 5 जौ / 6 करतांE 7 जन्म / 8 दीयो CE | // 51 // 1 सरिखो CE | 2 कोइ BC | 3 कहयो / , कहज्यो C, भापो / / 4 नई B5 स्वामि / / 6.6... पभणै ऍम नरेस / / 7 ते दीठा होस्यै बहु देस / // 52 // 1.1 प्रथवी पीठ सिरे पदमणि, किण देसै उतपति तेह तणी / एह भेद जे मुझ नै कहै, लाखपसाव वधाइ लह।।।। 2 जपे / 3 अरदास / / 4 संघल BODI 5 देसे / / 6 अलइ C, उतपति / / 7 तास / / 60 // // 53 // 1-1 शंघल BCD, छै दखिण दिसि सिधं / 2 प्रसिथ / / 3 आडो CE| 4 आवे।। 5 समुद्र / / , जलधि / / 6 अथाग / / ७तसुनो B, तेहनो / 8 लहद C, लहै / / 9 माग / / // 54 // 1 रंजीयो०। 2 दिसा / 3 चालीयो / 4 जाइ। 5 कुरंग / 15 वात सुणत राजा चित 'चढी, दीवी रतन-जडित मुद्रडी। . पूछी सवि मारग विवहार, चढीया गजा हाप अपार / / 61 // // 55 // 1 जेह D / 2 वहता / ३देखे / / 4 तेह। राजा मारग संध्यो जिसै | ६समीपह, समीपे / 7 आया / / 8 तिने / // 56 // 1 आगे / / 2 करइ BC, करे / / ३लकिरदी , छिलना दीसे पाणी छोलि / 4 पवन / , - प्रवहण न सके चालि जिहाँ / / 5 किन।। 6 तिहाँ / / / 65 // ॥५७॥१पाणी / / 2 चालिइ B, चाले / 3 प्राण / / 4-4 लाग नहि कोद बुधि विणांण / ५चित / / ६चित / / ७हिवइ, हिवै।।८करीसि , करी / / ९किस्य /

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