Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 93
________________ 62 कवि हेमरतन कृत हिव तुं जेम कहइ'तिम करां, नीच देता लाजे मरों। ऑपे डीले छाँ दुइ जणा, आलिम आगलि लसकर घणा // 403 // किम जीपेशा कहउँ एकला, एकला कदेई न हुवई भला / तिणि कारणि तो पूछण भणी, आविउ लेई हुँ' पदमिणी" // 404 // पदमिणि' बादिल सु वलि' भणइ' - "सरणइ आवी हुं तुम्ह तणइ / राखि सकउँ त राख सही', नही तरि पाछी जाउं वही // 405 // खड' जीभ दहुँ निज देह, पिण नवि जाउं असुरों गेह / लाखा जमहर करि नइ बलुं, पिणि नवि कोट थकी नीकलु" // 406 // इम सुणि वादिल' बोली', दूठ महा दुरदंत / जाणि कि गयवर* गाजीउ, अतुल बली एकंत // 407 // / 6 अछाँ // 403 // 1 कहै DE | 2 नीची DE | 3 लाजां BCDE | 4 आँपे A / ५डीलई BCDE | ७दोइ BCDE | 8 आगइ BCD, साथै / / // 404 // 1 जीपेस्यां RCD, जीपेसां / 2 कहो CDE | ३...होवइ...B0, किला न होई (होवै) कदेहि भला DE | 4 आव्यउ B, आव्यो CE, आव्यौ D / 5 ले / 6 साथै / // 405 // 1 पदमणि D, पदमिन E | 2 बादल BCDE | 3 स्यूं B / 4 इम BCDE | 5 भणै DE | 6 सरण DE | 7 तणे DR | 8 सको CE, सके / 9 तो CE, तौ DI. 10 राखो CE, राखै D / 11 मुझ E| १२...जावं...BCD, नहि तर तेहवो दाखो मुझE | D481* / // 406 // 1 खांडउं , खांडो / 2 दहउं / / 3 जावउं B, जावू CIA 390 / B445 / 0455* . सील न खंडु (खाडं E) देह अखंड / जो फिर (फिरि E) उलटे (उलटैE) ए ब्रह्मड / बात लख सम एको बात (सुहड करावे वलि भरतार E) / जीवंतां ए न फिरै घात (मुझ कुल एह नही आचार E) / D 482 / E561 / सील DE, प्रसाद D (प्रतापै E) तुझ जस होई D (होसी फते E) / रिपुदल DE गाहौ D (गाहो E) अवसर जोय D (झूबो मते ) / पदमणि रहै नै छूटे राय D (रहै गढ वलि छुटै राय E) / गढ राखो जस त्रीभवण थाय D (हुं पिण रहुं सुजस जगि थाय E) D 483, : 562 / सील DE प्रसादै D (प्रतापैE) सुर D (सुख E) वरदाय D (वरताइE)। रिपु जीपै मनि बंछित थाय D (जीपी रिमरिझ वंछित थाय E) / कलिजुग नाम करुं अखंड D (कलिजुग नामो करो अखंड E) / काया अथिर थिर जस नव खंड D (प्रगटै सुजस लगै नव खंड E) D484 / 3 563 / श्रीपति पणि साहस नै साथि D (परमेसर पिण साइस साथि ) / जयत हथा DE होज्यौ नरनाथ E (करसी जगनाथ E) / लहि सोभाग DE देहुं D (दिउँ ) आसीस DE | जीवो DB बादल D (वादल E) कोडि DE बरीस (वरीस)। D 485 / 564 // कहे पदमिन भासीसी, अखे वादल अजरामर। तुं मुझ पीहर वीर, धीर चित मेर बराबर / खगि भांजहु खुरसाण, मांण रखहु हीदूवानह / धुरै जैत नीसांन, करें दुनीयांन वखानह / सनाह साम सरणे सुहड, एह विरद तुय मुज लहे। कर घालि मूंछ ज्यो सब सुहड, तुझ्झ आंक माथै बहै // E565 // // 407 // 1 बादल BOD, वादल / 2 बोलीयउ BC, बोलियौ D, बोलियो / 3 दुटु...BOD, मद पोरस-मैमंत E / 4 जाणकि B, जाणिके C, जाणिक D, जांणिकै / 5 केसर B0, केहरि DHI 6 गाजीय B0, गाजियो DE | 7 अतुली बल...BOD, देख घणां देह दंत:।

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