Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan
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________________ 54 कवि हेमरतन कृत मिलिया' सुभट दहों दिसि वली', सेना सगली गढ महि मिली। "मिलिया माणस टोला टोलि', सबल जडावी गढनी पोलि // 349 // धीरभाण सुत सुभटौँ माहि', 'बहठउ आवी ग्रही गजगाहि। माहो-माहि करइ आलोच, सबल हूउ गढ माहि' सँकोच // 350 // एक कहइ'-"द्या राती वाह", एक कहइ “जूझा गढ माहि" / एक कहइ-"सॉमी साँकडइ', जूझंताँ किम टाणु जुडइ" // 351 // एक कहा-"नहि नायक माहि, विण नायक हत सेन कहाइ / नायक' विण सहु आल पंपाल', पूलइ वाँध्यउ जिउँ सुसपाल" // 352 // एक कहा "मरवु छइ सही, मूआँ गरज सरह का नही। सबलातुं नवि थाइ संग्राम, 'जिण परि तिण परि न रहइ मॉम // 353 // इम आलोच कर भट' सहू, मन माहे भय हउ बहू। तितरह आविउ इक परधान', आलिमसाहि तणउ असमान // 354 // खबर' करावी आविउ माहि', एम कहइ छइ आलिमसाहि। "हमकुं नारि दियउ 'पदमिणी, "जिम हम छोडाँ गढनउ धणी // 355 // // 349 // 1 मिलीया A, मिलिया BCD / 2 ते दह दिसि ECD / 3 बली BOD / 1.3 तेड्या सुहड दसो दस वली E / 4 माहे B, माहि , माहे D, मांहि / ५...मानस AB, कटक सजाणो घण हाल कलोल E / // 350 // १...माँहि BC, बीरभाँण सुत सुभटज...D, वीरभाण तब करि दरगाह E / 2 बइठो...(वयठो D)...गृही गज गाह (गजसाह 0) B, तेच्या सुहड सवे गजगाह / / 3 हुबउ B, हूयो , हुवो D, हूओ E / 4 माहे BD I लोक कहै कुमति हुवो ('यो E) राय (इE), काइ विस्वास कियो असुराय D (असपतिनै आंण्यो गड माहि E) राय ग्रहौ पदमणि पणि ग्रहै, गढ तोडै जण खय जसबहै / वलि पहुचावण साथै थया, गढ बाहरि अलगा जो गया E| D423 / : 497 / तो राजा पडिया तिण पास, असुर तणा केहा विस्वास। राय प्रयो पदमिन पणि ग्रहै, गढ चीतोड हवै नवि रहै / E498 // // 351 // 1 कहा Bo, कहै DEI 2 घर्ड BD यो C, दियो / 3 झूझउ 1, मूझो 0D, झूझो / / 4 सामी BCD | 5 सैकडै DE6 झूझंता...टाणउ...BC, झूझता...टाणौ जुडै D, लडतां तेहनै भारी पडै E / // 352 // 1 कहइ B0, कहै DE | 2 नही / 3 नाइक BC | 4 विन...BCE, विणि...पताल D, एडवो कोइ करो मंत्रणो E / ५...पहिलउ B,...पहिलइ , कांइ सवै मिल झंखौ आल D, मान रहै हिंदू भ्रम तणो / // 353 // 1 कहइ BC, कहै DE | 2 मरिव्यो B, मरिवो CDE | 3 छै DE | 4 मूवां BD, मूयां / 5 सरै / 6 स्युं BC७न / 8 होइ BODI ९हारि हुयै तो न रहै माम। 341 / B393 / 0 403 / / 428 / E 502 / // 354 // 1 आलोचइ सामंत Bo, आलोचै सामंत DE | 2 मन मांहि विघन हुवा (हूया ) अति बहू BOD, चिंता उपजी चितमै बहू / 3 तितरह BC, तितरै D, तितरे / 4 आव्यो BC, आयौ DE | ५एक BODE | 6 परधान BCDE | 7 आलमसाह...(तणो D) असमान BCD, हुकम करै छै इम सुरताण / मांहि तेड्यो नीसरणी ठवी, मंत्रि महाबुधि जाणग कवी। इम जंपै छै आलमसाह, तुम्है कहो तेहनी धुं बांह // 8 504 // . // 355 // 1 खबरि BCDE | 2 कराई / 3 आवि BCDE | 4 मांहि BCDE | 5 कहै छै DI 6 आलमसाहि BCDE | 7 हमकौं / 8 दियौ DE | 9 जिम हूँ छोडउ... BCD, जिम मैं छाडों गढका धणी E/1 /

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