Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ पहलो] ___ गोरा वादल पदमिणी चउपई वई' हिव' सगलउ' होसी भलउ', मत मनि जाणइ छु एकलउँ / वीचा' अंबरि ऊडण तणी, समरी लाही करि समरणी // 66 // बे असवार धरी निज बाथ', सिंघल' दीप गयउ गुरुनाथ / नगर समीपई आया जिसई, आयस' हूउँ अलोपी तिसई // 67 // राजा रजिउ देखी दीप, जो जोवई ते अतिहि उदीप। कोलाहल अति कसबउँ' घण', वणज अनइ व्यापारौं तण // 68 // 'हीयइ-हीय' दलाई सही', विरल कोइक' जायइ वहीं / आगलि पडह' फिरतदीठ', "तास लगइ ते आव्या नीठ // 69 // पूछण लागा पडह विचार', 'तव ते जपद "सुणि असवार। सिंघल दीप तण राजी', गुणे करी महिमा गाजीउ // 70 // ॥६६॥१तो। 2 हिबदE, हिवै D / 3 सगलो D, सबही E| 4 होसइ / 5 भलो CD, भला ET 6 मति / 7 जाणो , जाणे D / ८छु , नै D, छइ / 9 एकलो CD, एकला / १०बिद्या० / 11 अंबर DI // 67 // 1 हाथि, हाथ D / 2 शंघल AB | 3 गयो , गया D / 4 सुधरनाथ C, गुरनाथ DI ५समीपै / 6 आव्या B, आयो / ७जिसै cD / 8 आइस / ९हुवो , थया / १०तिस EDI // 68 // 1 रज्यौ 0, रज्या D / २रूप / 3 जोवै CD / 4 उटीप B सरूप CD / 5 कसुबट B, कलहट cD / 6 घणो CD / 7 विणज B, बीणज० / 8 अन CD| 9 ब्यापारी , व्यापारी D / 10 तणो D / ॥१९॥१हीये हीयो B| हीयोहीये / २,दलायइ / ३धकै D / 4 बिरलो D, विरलो / ५कोई D / 6 जाय , जाई D / 7 सके D / इस अख़्ली के पश्चात् BODE प्रतियों में ये क्षेपक हैं सोवन कलस सोहह (सोहै D) सवि (सहु ) गेह / नर-नारी बहु (सहु 0) चतुर सनेह (संनेह c ) // B 70 // मणिमय ("मै CD) गउख (गोख CD) जड्या अतिसार / माहे (माँहि BC) बइठी (बैठी C, बैठा D) राजकुमारि (कुवारि E, 'कुआर D) // थानकि थान कि ( थाँनिक 2 D), दीसइ (दीसै 0) चरी। जाणे (जाँणि क D) इंद्रपुरी अवतरी / / B71 // चतुरा नारी मोहन वेलि (वेल C, बेलि D) / सहियाँ स्यूँ (सूं B. K DE) हीडइ (हीडै CD ) गयगेलि (गजगेलि CD) // नव-नव नाटक (नाटिक D) जोवर (जोवै DE) भूप / थानकि थानकि (थानिक 2 D) अकल सरूप // B 72 // हाट पटण (बाजार E) सहु देखइ (देखिइ2, देखै D) राइ (राय D) / मध्य भाग ते नयरें (नयरह DE) जाइ। इससे आगे शेष अर्द्धाली (69) आरम्भ होती है: ८पडहो DELL 9 वाणतउC, बाजंतो D, मुणयो / 10 सुण C, सुण D, जिसै El 11 तेह वहि आवइ नृप हित घणह, तिहाँ बहि आवै व्रपति घणै , राजा देखण पहुंता तिसे / // 69 // BC 73 / / D 80 // 6 82 // // 7 // 1 विचार D / २."जंपै"D, ते जपै "सुणिहो असवार.!" | 3 संघिल / 4 तणो DE I 5 राजीयो D, राजान / ६...गाजीयो D, लील-विलासी इंद्र-समॉन / / A70 // BC 73 // D 81 / / E83 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132