Book Title: Dharmratna Prakaran Part 03
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
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विषयानुक्रमणिका.
७८
विषय. ' भावसाधुनां सात लिंगो. भावसाधुना पहेला लिंग मार्गानुसारिणी क्रियानुं स्वरुप. ते उपर आर्यरक्षितमूरि अने दुईलिका पुष्पमित्रनी कथा. भावसाधुना बीजा लिंग श्रद्धानुं स्वरुप. ते श्रद्धानां चार प्रकारनां नाम. . विधिसेवारुप श्रद्धानुं पहेलुं लक्षण. ते उपर श्री संगमसूरिनी कथा. . श्रद्धाना अतृप्ति नामे बीजा प्रकारचं स्वरुप. ते उपर अचलमुनिनी कथा. श्रद्धानी शुद्ध देशना नामे त्रीजा प्रकारचें स्वरुप. ते उपर निर्ग्रथमुनिनी कथा. देशनानुं दान केवा पात्रने आप.... देशना अपात्रने आपी होय तो शुं थाय ? .. उपदेश आपवाने अयोग्य अने योग्य कोण ? श्रद्धाना स्खलित परिशुद्धि नामे चोथा प्रकारचें लक्षण. ते उपर शिवभद्र मुनिनी कथा. तेमां बतावेल आलोचनानो विधि. भावसाधुना त्रीजा लिंग प्रज्ञापनीयपणानुं स्वरुप. तेमां बतावेलां सूत्रोना जुदाजुदा प्रकार. ते उपर सुनंद राजर्षिनी कथा.
११० क्रियामां अप्रमाद राखवारुप भावसाधुना चोथा लिंगनुं स्वरुप. १२४ ते उपर आर्यमंगुनी कथा..
१२८ प्रमादने निषेध करवानी पीजी युक्ति.
१३२ शक्य अनुष्टाननो आरंभ करवारुप भावसाधुना पांचमा लिंगनुं स्वरुप. १३८ ते उपर आर्यमहागिरिनी कथा. . शक्य अनुष्टानना आरंभ विष वधारे खुलासो.
१४८ "ते उपर शिवभूतिनी कथा.
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