Book Title: Collection of Kalka Story Part 02
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिकाचार्यकथा । (७९) इय कुमरणिच्छयं जाणिऊणः सूरीहि तवणं चेव । __आपुच्छिऊण सयणे, विहिणा अह दिक्खिओ एसो ॥८॥ (८०) रायाई परिसा वि य, नमिउं सूरिं गया नियं ठाणं । मुणिणो वि णिययसद्धम्मकम्मकरणोजया जाया ॥९॥ (८१) एवं चिय पैईदियह, मुणिवइपयपंकयं णमंतेते । णरणाहे दट्टणं, भत्तिभरणिभरे धणियं ॥१०॥ (८२) सव्वो वि णगरलोगो, जाओ जिणधम्मभाविओ अहियं । सच्चमिणं आहाणं, जह राया तह पया होइ ॥११॥ ___ तं च तारिसं पुरखोहमवलोइऊण अच्चतर्दुमियचित्तेणं रायपुरओ सूरिसमक्खं चेव भणिय रायपुरोहिएण जहा-देव ! किएहिं पासंडिपहिं तईबज्झायरणणिरेपोहँ असुइएहिं ! ति । एवं च वयंतो सो सूरीहिं अणेगोववत्तीहिं जाहे णिरुत्तरो को ताहे धुत्तिमाए अणुलोमवयणेहिं याणो विप्परिणामेई । अवि य(८३) एए महातवस्सी, नीसेसगुणालया महासत्ता। सुर-असुर-मणुयमहिया, गोरवा तिहुयणस्सावि ॥१२॥ (८३) तो देव ! जेण एए, पहेण गच्छंति तेण तुम्हाणं । जुत्तं न होइ गमणं, अक्कमणं तप्पयाण जओ ॥१३॥ (८५) गुरुपयअकमणेणं, महई आसायणा ओ होइ । दुग्गइकारणभूया, अओ विसज्जेह पहु! गुरुणो ॥१४॥ तओ विप्परिणयचित्तेहिं भणियं राईहि-सच्चमेयं परं कहं विसिब्जिजति ! तओ पुरोहिएण भणियं देव ! कीरउ सम्वत्थ णगरे अणेसैणी, तीए य कयाए असुझंते भत्तपाणे सयमेव विहरिसंति । तओ राईहिं भणियं-एवं करेहि । तओ परूवियं सव्वस्थ णगरे पुरोहिएणं जहा-एवं एवं च" आहाकम्माइणा पयारेण देज्जमाणं महाफलं भवइ । तओ लोगो तहेव काउमारद्धो । तं च तारिसमउब्धकरणं दळूण साहियं साइहिं गुरूणं । ते वि सम्म वियाणेऊण रायाभिपाय अपजोसविए चेव गया मरहट्ठविसयालंकारभूयं पइट्ठाणं णाम णगरं । तत्थ य सूरीहिं जाणावियं जहा न ताव पज्जोसवेयव्वं जाव वयं णागया । तत्थ उण परमसावगो सायवाहणो गाम राया । सो य सूरिणो समागच्छंते णाऊण जलयागमुक्कंठियसिहि व्ब हरिसणिभेरो जाओ । कमेण य समागया तत्थ सूरिणो । तओ साईवौहणरायौँ सूरि समागया णाऊण सपरियणो चउन्धिहसिरिसमणसंघसमण्णिओ णिग्गओ अभिमुहं, बंदिया य भावसारं सूरिणो । अवि य(८६) भवियकमलावबोहय !, मोहमहातिमिरपसरभरसूर । । दप्पिदैर्दुपरवाइकुंमिनिहलबेलेंसिंह ! ॥१॥ १४. पयदि ° ABI, परिदि. EHT १ .चंत CDE | १४२ • रएहि ति E १४३ राइणो CDI, रायाइलो O N • मेति, भEHI४५ तो दे. EHIM भो इवह CDEH I ४७ जिस्मति ABI १४. •णा, जहा- HI४९ च अहोक • CD । १५. •ग देज्जमाणं साहूग म° ABI, माहूण दिज °EHI १५१ .सभरनिन्म HI १५२ सायवा • E11५३ • या स• H५४ दप्पिडु • EHI1५५ मसीह ICDEHA For Private And Personal Use Only

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