Book Title: Vaani Vyvahaar Me Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 6
________________ अनुक्रमणिका से परिवर्तित करना चाहिए? किसी के प्रति एक नेगेटिव शब्द बोले तो उसके रिएक्शन में खुद पर क्या असर होगा? वाणी से तिरस्कार करना, वाणी को ही ऐसे किस प्रकार से मोड़ना कि तिरस्कार के घाव भर जाएँ? वाणी के सूक्ष्म से सूक्ष्म सैद्धांतिक स्पष्टीकरणों से लेकर दैनिक जीवन व्यवहार में पति-पत्नी के बीच, माँ-बाप-बच्चों के बीच, नौकर -सेठ के बीच, जो वाणी उपयोग में आती है, वह कैसी सम्यक् प्रकार की होनी चाहिए, उसके प्रेक्टिकल उदाहरण देकर संदर समाधान करवाते हैं। वे उदाहरण समझो अपने ही जीवन का दर्पण हो ऐसा लगता है! हृदय के पार उतरकर मुक्त कराती है! यथार्थ ज्ञानी को पहचानना अति-अति मुश्किल है। हीरे को परखने के लिए जौहरी की दृष्टि चाहिए, वैसे ही दादा को पहचानने के लिए पक्के मुमुक्षु की दृष्टि विकसित करनी ज़रूरी है! आत्मार्थ के अलावा अन्य किसी चीज़ के लिए नहीं निकली, वैसी ज्ञानी की स्यादवाद वाणी युगों-युगों तक मोक्षमार्ग के पथ को प्रकाशित करती रहेगी। वैसी जबरदस्त वचनबलवाली, यह निश्चय-व्यवहार दोनों को प्रतिपादित करती वाणी प्रवाहित हुई है, जिसका व्यवस्थित अभ्यास करके स्वरूप की प्राप्ति अवश्य की जा सकती है, एक घंटे में ही!!! (१) दुःखदायी वाणी के स्वरूप (२) वाणी से तरछोड़ - अंतराय (३) शब्दों से सर्जित अध्यवसन... (४) दु:खदायी वाणी के समय, समाधान ! (५) वाणी, है ही टेपरिकॉर्ड (६) वाणी के संयोग, पर-पराधीन (७) सच-झूठ में वाणी खर्च हुई (८) दुःखदायी वाणी के करने चाहिए प्रतिक्रमण (९) विग्रह, पति-पत्नी में (१०) पालो - पोसो 'पौधे' इस तरह, बगीचे में... (११) मज़ाक के जोखिम.... (१२) मधुरी वाणी के, कारणों का ऐसे करें सेवन - डॉ. नीरुबहन अमीन के जय सच्चिदानंदPage Navigation
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