Book Title: Vaani Vyvahaar Me
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 40
________________ ६७ ६८ वाणी, व्यवहार में... बोलने की परम शक्ति दीजिए। फिर आपको दादा की अनुमति लेनी होगी। ऐसी अनुमति लेकर बोलो तो सीधी-सरल वाणी निकलेगी। ऐसे ही मुँहफट बोलते रहो तो सीधी वाणी किस तरह निकलेगी? प्रश्नकर्ता : इस तरह बार-बार कहाँ उनकी आज्ञा लेने जाएँ? दादाश्री : बार-बार ज़रूरत भी नहीं पड़ती न! जब वैसी टेढ़ी फाइलें आएँ तभी ज़रूरत पड़ेगी। चिकनी फाइल के साथ कुछ बोलना हो तो, पहले उनके शुद्धात्मा देख लेने चाहिए, फिर मन में विधि बोलनी चाहिए कि (१) हे दादा भगवान, (फाइल का नाम) के साथ उसके मन का समाधान हो उस तरह से बोलने की शक्ति दीजिए। फिर (२) दसरा अपने मन में बोलना पड़ेगा कि हे चंदूभाई, (फाइल का नाम) के मन का समाधान हो वैसी वाणी बोलना। और फिर (३) तीसरा बोलना चाहिए कि, हे पद्मावती देवी, (फाइल का नाम) के मन का समाधान हो, उसके सर्व विघ्न दूर कीजिए। वाणी, व्यवहार में... पर उस गाँव में सभी को चूड़ियाँ बेचकर, फिर जो बचे वे रात को वह वापिस लेकर आ जाता। वह बार-बार उस गधी से कहता था 'धत् गधी, चल जल्दी' ऐसे करते-करते चलाकर ले जाता न तो एक व्यक्ति ने उसे समझाया कि, 'भाई तू ये वहाँ पर गाँव में क्षत्राणियों को चूड़ियाँ चढ़ाता है। तो यहाँ तुझे यह आदत पड़ जाएगी और वहाँ कभी गधी बोल देगा तो मार-मारकर तेरा तेल निकाल देंगे वे लोग।' तब उसने कहा, 'बात तो सच है। एक बार मैं ऐसा बोल गया था, मुझे पछताना पडा था।' तब दूसरे व्यक्ति ने कहा, 'तो तू यह आदत ही बदल दे।''किस तरह बदल?' तब उस व्यक्ति ने कहा, 'गधी से तुझे कहना चाहिए कि चल बहन, चल बहन, चलो बहन।' अब वैसी आदत डाली इसलिए वहाँ पर 'आओ बहन, आओ बहन' ऐसे-वैसे उसने बदल दिया लेकिन 'आओ बहन, आओ बहन' कहने से गधी को उस पर आनंद हो जानेवाला है? पर वह भी समझ जाती है कि यह अच्छे भाव में है। गधी भी वह सब समझती है। ये जानवर सब समझते हैं, पर बोलते नहीं हैं बेचारे। अर्थात् ऐसे परिवर्तन होता है! कुछ प्रयोग करें तो वाणी बदले। हम समझ जाएँ कि इसमें फायदा है और यह नुकसान हो जाएगा, तो बदल जाता है फिर। हम निश्चित करें कि 'किसीको दु:ख नहीं हो वैसी वाणी बोलनी है। किसी धर्म को अड़चन नहीं आए, किसी धर्म का प्रमाण नहीं दुभे वैसी वाणी बोलनी चाहिए', तब वह वाणी अच्छी निकलेगी। 'स्यादवाद वाणी बोलनी है' ऐसा भाव करें तो स्यादवाद वाणी उत्पन्न हो जाएगी। प्रश्नकर्ता : पर इस भव में बार-बार रटने से कि, 'स्यादवाद वाणी ही चाहिए' तो वह हो जाएगी क्या? दादाश्री : पर वह 'स्यादवाद' समझकर बोले तब। वह खुद समझता ही नहीं हो और बोलता रहे या गाता फिरे तो कुछ होता नहीं। किसकी वाणी अच्छी निकलेगी? कि जो उपयोगपूर्वक बोलता हो। अब उपयोगवाला कौन होता है? ज्ञानी होते हैं। उनके अलावा उपयोगवाला प्रश्नकर्ता : कई बार ऐसा नहीं होता कि हमें सामनेवाले का व्यू पोइन्ट ही गलत दिख रहा हो, इसलिए फिर अपनी वाणी कर्कशतावाली निकलती है? दादाश्री : वैसा दिखता है, इसीलिए ही उल्टा होता है न ! वह पूर्वग्रह और वही सब बाधा करता है न! 'खराब है, खराब है' ऐसा पूर्वग्रह हुआ है, उसके बाद वाणी निकले, तो वैसी खराब ही निकलेगी न! जिसे मोक्ष में जाना है, उसे 'ऐसा करना चाहिए और वैसा नहीं करना चाहिए' ऐसा नहीं होता। जैसे-तैसे करके काम पूरा करके चलना चाहिए। उसे पकड़कर नहीं रखता! जैसे-तैसे करके हल ले आता है। एक व्यक्ति को वाणी सुधारनी थी। वैसे क्षत्रिय था और चूड़ियों का व्यापार करता था। अब वह चूड़ियाँ यहाँ से दूसरे गाँव ले जाता। तो किसमें? टोकरी में ले जाता। टोकरी सिर पर उठाकर नहीं ले जाता था। एक गधी थी न, उस पर वह टोकरी बाँधकर दूसरे गाँव ले जाता। वहाँ

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