Book Title: Vaani Vyvahaar Me
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 43
________________ ऊपरी कल्प गोठवणी ध नियाणां धौल सिलक तायफ़ा उपलक कढ़ापा अजंपा राजीपा सिलक पोतापणुं लागणी उपाधि च्यवन वैक्रियिक मूल गुजराती शब्दों के समानार्थी शब्द : बॉस, वरिष्ठ मालिक : कालचक्र : सेटिंग, प्रबंध, व्यवस्था : अत्यंत राग अथवा द्वेष सहित लम्बे समय तक याद रखना, नोट करना : अपना सारा पुण्य लगाकर किसी एक वस्तु की कामना करना : हथेली से मारना : राहखर्च, पूँजी : फज़ीता : सतही, ऊपर ऊपर से, सुपरफ्लुअस : कुढ़न, क्लेश : बेचैनी, अशांति, घबराहट गुरजनों की कृपा और प्रसन्नता : जमापूंजी : मैं हूँ और मेरा है, ऐसा आरोपण, मेरापन : भावुकतावाला प्रेम, लगाव : बाहर से आनेवाला दुःख : आत्मा की दैवीय शरीर छोड़ने की क्रिया : देवताओं का अतिशय हल्के परमाणुओं से बना हुआ शरीर जो कोई भी रूप धारण कर सकता है नमस्कार विधि प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र में विचरते तीर्थंकर भगवान श्री सीमंधर स्वामी को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (४०) प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में विचरते ॐ परमेष्टी भगवंतों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ । (५) प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में विचरते पंच परमेष्टी भगवंतों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (4) : प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में विहरमान तीर्थंकर साहिबों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (५) : वीतराग शासन देवी-देवताओं को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (५) निष्पक्षपाती शासन देवी-देवताओं को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (५) चौबीस तीर्थंकर भगवंतों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (4) श्री कृष्ण भगवान को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ । (५) ܀ ܀ ܀ ܀ भरत क्षेत्र में हाल विचरते सर्वज्ञ श्री दादा भगवान को निश्चय से अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ । दादा भगवान के सर्व समकितधारी महात्माओं को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (५) * सारे ब्रह्मांड के समस्त जीवों के रिअल स्वरूप को अत्यंत ܀ ܀

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