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श्रीमान धर्मप्र मी रिखबचन्द जी सा०
श्रीमती धर्मानुरागिनी स्व० देवीबाई बोहरा सिन्धनूर (कर्नाटक)
रिखबचन्दजी बोहरा, सिन्धनूर भारत के तत्त्वदर्शी महर्षियों ने जीवन की परिभाषा करते हुए कहा कि जीवन वह है जिसमें उदारता हो, धर्म के प्रति सद्भावना हो। प्रस्तुत कसौटी पर जब हम श्रीमान रिखबचन्द जी बोहरा के जीवन को कसते हैं तो लगता है उनका जीवन एक सद्गृहस्थ का जीवन है । उस जीवन में धर्म के प्रति अपूर्व निष्ठा है । सादा जीवन उच्च विचार उनके जीवन का मूलमन्त्र हैं।
श्रीमान रिखबचन्द जी सा० बोहरा श्रीमान केसरीमलजी बोहरा के सुपुत्र हैं। आपकी मातेश्वरी बहुत ही धर्म परायणा महिला थी। आप राजस्थान में गिरीनावना के निवासी हैं। जब आपकी उम्र आठ-नौ वर्ष की थी, तब आप कर्नाटक में सिन्धनूर शहर के निवासी श्रीमान चन्दनमल जी बोहरा के वहाँ पर दत्तक रूप में आये। वहां पर श्रीमती माता मनोहर बाई और पिता चन्दनमल जी का हार्दिक स्नेह प्राप्त कर अपने आपको गौरवान्वित अनुभव करने लगे।
सिन्धनूर निवासी श्रीमान माणकचन्द जी सकलेचा की सुपुत्री देवीबाई के साथ आपका पाणिग्रहण हुआ। देवीबाई बहुत ही धर्मपरायण महिला थी। जिन्होंने अनेक मासखमण आदि तप की आराधना कर अपने जीवन को धन्य बनाया। आपके चार सुपुत्र हैं-श्रीमान सोहनलालजी, चम्पालालजी, सूरजमलजी, दिलसुखराजजी। चारों भाइयों में धार्मिक संस्कार माता-पिता से विरासत के रूप में मिले हैं। श्रद्धय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म० और उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म० के प्रति आप में अपार श्रद्धा है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका सुन्दर योगदान प्राप्त हुआ है।
आपके फर्म का नाम(१) महावीर इण्डस्ट्रीज (राईस मिल) सिन्धनूर (कर्नाटक) (२) आर० एस० एण्ड कम्पनी रायचूर (कर्नाटक)
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