________________
साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ)
శించిందించిందించిందించిందించిందించిందించిం00000000000000000
गुण गान
-साध्वी रत्नज्योति eeeeeeeeeeee000000000000000000000000000666666666666666666666 गुरुणीवा आपके चरणों में.
छोड़यो जग रो जंजाल, बन्या जीवां रा प्रतिपाल, श्रद्धा के सुमन चढ़ाते हम !
त्याग तपस्या में शूर वीर, बनगा म्हारी गुरुणीसा ! मंगलमय स्वर्ण-जयन्ती पर,
तन-मन बलिहारी ॥३॥ अभिनन्दन गान सुनाते हम !!
(तर्ज-जयपुरिया को लहरियो....) गुरुणी सोहनजी महान् माता प्रभावती जान, स्वर्ण जयन्ती है महान्, म्हारा हिवड़ा री तान,
। उपाचार्य भ्राता जी संयम पाले म्हारा गुरुणी सा ! म्हारी जीवन नैया को पार लगाओ म्हारा गुरूणीसा! . तन-मन बलिहारी ॥टेर।।
तन-मन बलिहारी ॥४॥ धन्य उदयपुर महान् जाने सकल जहान, संयम ज्योति को जगाई. 'रत्न ज्योति' पास में आई, जहाँ प्रेम बाई कुंखे जन्म लीनो म्हारा गुरुणी सा!
' भव भ्रमण को आप मिटाओ म्हारा गुरुणी सा ! तन-मन बलिहारी ॥१॥ जीवनसिंह जी ज्यारा तात, तीजा बाई ज्यारी मात,
तन-मन बलिहारी ॥१॥ बरड़िया वंश उज्जवल कोना म्हारा गुरुणी सा ! तन-मन बलिहारी ॥२॥ स्वर्ण जयन्ती मनावा हा सुरे
-महासती किरणप्रभा (तजं-महिमा मनोहर मदन कुमार को....) सोहन सतीजी मिलिया आपने, रे । स्वर्ण जयन्ति मनावो हर्ष सुरे।
सुणियो है जिण रो उपदेश रे ।। गुरुणी रा करॉ गुण ग्राम रे ।।
चवदह वर्षरे ऊपर मांयनै रे । सन्त सतियाँ गुण गाँवता रे ।
छोड्यो है जग रो क्लेश रे ॥ ४ ॥ पावाँ मैं मुक्ति रो धाम रे ॥ १ ॥
उगणी से चौरासी साल में रे । देश मेवाड़ सुहावणो रे।
लीधो है संयम भार रे ।। उदयपुर राणाजी रो विख्यात रे ।।
माता ने भ्राता भी संयम लियो रे । बरड़िया जीवन सिंह री लाडली रे ।।
कीनो है आतम रो उद्धार रे ।। ५ ॥ प्रेमा बाई है जिणरी मात रे ।। २ ।। उगणी से इक्यासी में जन्मिया रे ।
विचरिया घणा ही राजस्थान में रे । मृगसर वद सातम सुखकार रे ।
कियो गुजरात परवेश रे ।। मोटा हुआ पढ़िया प्रेम सु रे ।
महाराष्ट्र आप पधारिया रे। गया हैं स्कूल मझार रे ॥३॥
दीनो है खूव उपदेश रे ॥ ६ ॥ श्रद्धा का सुमन चढ़ावती रे 'किरण' ने देवो आशीर्वाद रे ॥ जीवू जठा तक रेवे मेरो रे तप संयम आबाद रे ।। ७ ।।
६४ | प्रथम खण्ड, शुभकामना : अभिनन्दन
.....
www.jainellips