Book Title: Prachin Jain Itihas Part 02
Author(s): Surajmal Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ प्राचीन जैन इतिहास दूसरा भाग। पाठ १. भगवान विमलनाथ (तेरहवें तीर्थकर ) (१) भगवान वासुपूज्यके मोक्ष जानेके तीस सागर बाद तीर्थकर विमलनाथ उत्पन्न हुए। आपके जन्मसे एक पल्य पहिलेसे धर्म-मार्ग बंद हो गया.था । (२) ज्येष्ठ वदी दशमीको आप गर्भमें आये । माताने सोलह स्वप्न देखे । इन्द्रादि देवों द्वारा गर्भ कल्याणक उत्सव हुआ । गर्भ में आनेके छह माह पहिलेसे जन्म होने तक रत्नों की वर्षा हुई और देवियोंने माताकी सेवा की । (३) आपका जन्म कपिलोपुरके राजा कृतवर्मा रानी जय - स्यामाके यहां माघ सुदी चतुर्दशीको तीन ज्ञान युक्त हुआ। आपका वंश इक्ष्वाकु और गोत्र काश्यप था । ___(४) साठ लाख वर्षकी आयु थी । और साठ ही धनुषका सुवर्णके समान शरीर था। (५) आपके साथ खेलनेको स्वासे देव आते थे । और वहींसे आपके लिये वस्त्राभूषण आया करते थे।

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 182