Book Title: Paiavinnankaha Part 01
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ 94 पाइअविनाणकहा-१ एवं सोच्चा वि उज्जमवाइपंडिओ छुट्टणपयासं न चएइ / छुट्टणाय अईव पयासं कुणेइ / एवं तेसिं दुवे दिणा अइक्वंता / भोयणाभावेण सरीरं पि ताणमईव झीणं संजायं, कज्जकरणे वि असमत्थं जायं, तह वि उज्जमवाई पयासहीणाववरगे इओ तओ भममाणो बंधणाओ मोअणाय जत्तं न मुंचेइ / .. नियइवाई तं वएइ-'अहणा परमेसरस्स नामं गिण्हस, किमायासकरणेण फलरहिएण ?' / तया सो उज्जमवाई कहेइ-"समावन्ने वि मरणे उज्जमो कया वि न मोत्तव्वो, सया वि उज्जमसीलेण जणेण होयव्वं" / नियइवाई बोल्लेइ-'जइ एवं ता अंधारिए एयंमि अववरगे पाए हत्थे अ घसमाणा भमंता चिठेह, उज्जमो फलं दाही ?' / तह वि सो उज्जमवाई पंडिओ खीणसरीरबलो तइअदिणंमि भित्तिनिस्साए भमंतो हत्थे पाए य घसमाणो पडतो पुणरवि घसंतो भमंतो दइववसाओ अववरगस्स कोणगे तत्थ पडिओ, जत्थ उंदुरस्स बिलं वट्टइ / तस्स हत्था बिलोवरिं समागया / ____तओ रंघमज्झट्ठिओ मूसओ बाहिरं निग्गंतुमचयंतो दंतेहिं तस्स हत्थबंधणं छिंदेइ, तया सो छुट्टिओ समाणो नेत्तपडं पायबंधणं च अवसारेइ, सो तया अववरगे गाढयरतमेण किमवि न पासेइ / अस्स अववरगस्स दारं कत्थ अस्थि त्ति भित्तिफासणेण निरिक्खंतेण तेण करेण दारं लद्धं / बाहिरओ पिणद्धं तं पासिऊणं कटेण तं दारं मूलाओ उत्तारिअ बाहिरं सो निग्गओ / पच्छा देव्ववाई पंडिअं पि बंधणाओ मोएइ / पच्छण्णठाणे ठिओ कालिदासो सव्वं निरूवेइ / जया ते दुवे बाहिरनिग्गए पासेइ, पासित्ता ते घेत्तूण नियघरंमि गओ / सम्म अन्नपाणेहिं सक्कारित्ता सम्माणित्ता य निवसहाए ते विउसे गहिऊण समागओ / भोयनरिंद-कहेइ-‘उज्जमेण जिअं, नियईए पराइअं' ति, जओ उज्जमवाई पंडिओ उज्जमेण छुट्टिओ, अवरो उज्जमाभावाओ न छुट्टिओ / 'जो नियइमेव पहाणं मन्नेइ सो पमाई कहिज्जइ' / जत्थ पमाओ तत्थ खुहा पिवासा दुक्खं मरणं च अवस्सं संभवेइ / जो उज्जमं कुणइ सो कयाइ दुक्खाओ मुच्चइ, किं पि य फलं पावेइ / नियइवाई उज्जमेण विणा फलं न लहेज्जा / तओ उज्जमो पहाणो णायव्वो / __तओ भोयनरिंदो उज्जमवाइ पंडिअंदव्ववत्थाहूसणेहिं सम्माणेइ / तत्तओ पंचकारणसमुदाएण कज्जनिष्फत्ती होइ, तच्चेवं-“तंतुणो पडनिप्पायणसहावो, सो पडो कालेण होइ, पडनिप्पायणपउत्तो वि भवियव्वयानिओगेण पडो होइ, अन्नहा विग्घा चिअ हविरे / तंतुवायस्स उज्जमेण पडो हवइ, जइ कम्मं अणुकूलं सिया तो कज्जफलस्स भोत्ता होज्जा / एवं काल-नियइ-सहाव-उज्जम-पव्वकम्मसरूवपंचकारणसमवाए कज्जं जायइ, तओ कालाइपंचसु नियई बलवई, तओ वि उज्जमो बलवंतो णेओ" / नीइसत्थे वि-‘उज्जमे नत्थि दालिदं' / अओ उज्जमो कया वि न मोत्तव्यो / / उवएसो उजमस्स फलं ना, विउसदुगनायगे / 'जावजीवं न छड्डेजा, उज्जमं फलदायगं' / / 3 / / उज्जमस्स पहाणत्तणम्मि विउसवरदुगस्स एगणचालीसइमी कहा समत्ता / / 39 / / -भोयनरिंदकहाए

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224