Book Title: Jain Siddhant Dipika
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 208
________________ विशेष व्याख्यात्मक टिप्पणी १. कमलपत्रभेद...१.२२ एक-दूसरे से मटे हुए कमल के मो पनों को कोई बलवान व्यक्ति मूई से छेद देता है, तब एमा हो लगता है कि सब पने साथ हो छिद गए, किन्तु यह होता नहीं । जिस समय पहला पत्ता छिदा, उम समय दूसरा नहीं। इस प्रकार मरका छेदन क्रमशः होना है। जीणं वस्त्र फाड़ना... एक कलाकुशल युवा और बलिष्ठ जुलाहा जीर्ण-गोणं वस्त्र या माड़ी को इतनी गीघ्रता से फाड़ डालता है कि दर्शक को एमा लगता है-मानो माग वस्त्र एक माप फाड़ डाला, किन्तु मा होता नहीं : वस्त्र अनेक तन्तुओं से बनना है। जब तक ऊपर के नन्नु नहीं फटने नव नक नीच के नन्तु नहीं फट सकते । अतः यह निश्चित है कि वस्त्र फटने में काल-भेद होता है । तात्पर्य-वस्त्र अनेक नन्तुओं से बनता है । प्रत्येक तन्तु में अनेक रोएं होते है, उनमें भी ऊपर का रोमां पहले छिदता है, तब कहीं उसके नीचे का रोमां छिदता है । अनन्न परमाणुओं के मिलन का नाम गंघात है। अनन्त संघातों का एक समुदय और अनन्न समुदयों की एक समिति होती है। ऐसी अनन्त समितियों के संगठन से तन्नु के ऊपर का

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