Book Title: Jain Siddhant Dipika
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 217
________________ १९० जैन सिद्धान्त दीपिका १. प्रतिमा के ग्यारह प्रकार:."६/२५ १. दर्शन-प्रतिमा समय-१ मास विधि-सर्व-धर्म (पूर्ण-धर्म) रुचि होना, सम्यक्त्व विशुद्धि रग्वना-सम्यक्त्व के दोषों को वर्जना । २. व्रत-प्रतिमा समय-२ मास विधि-पांच अणुव्रत और तीन गुणव्रत धारण करना तथा पोषध-उपवास करना। ३. सामायिक प्रतिमा। समय-३ मास विधि-सामायिक व देशावकाशिक व्रत धारण करना। ४. पौषध-प्रतिमा समय-४ मास विधि-अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णमासी को प्रतिपूर्ण पोषध-व्रत का पालन करना। . ५. कायोत्सर्ग-प्रतिमा समय-५मास विधि-रात्रि को कायोत्सर्ग करना । पांचवीं प्रतिमा वाला१. स्नान नहीं करता। २. रात्रि भोजन नहीं करता। ३. धोती की लांग नहीं देता। ४. दिन में ब्रह्मचारी रहता है। ५. रात्रि में मथुन का परिमाण करता है।

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