Book Title: Jain Siddhant Dipika
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 213
________________ १८६ जैन सिद्धान्त दीपिका ४. मनः पर्यायज्ञानावरण ६. चक्षुदर्शन ७. अचक्षुदर्शन ८. अवधिदर्शन ९. केवलदर्शन २. असातवेदनीय ३. भवधिजानावरण ५. केवलज्ञानावरण दर्शनावरण १. निद्रा २. निद्रानिद्रा ३. प्रचला ४. प्रचलाप्रचला ५. स्त्यानद्ध वेदनीय १. सातवेदनीय मोहनीय १. सम्यक्त्वमोहनीय २. मिथ्यात्वमोहनीय ३. मिश्रमोहनीय ४. अनन्तानुबंधी कोघ ५. अनन्तानुबंधी मान ६. अनन्तानुबंधी माया ७. अनन्तानुबंधी लोभ अप्रत्याख्यान क्रोध अप्रत्याख्यान मान १०. अप्रत्यख्यान माया ११. अप्रत्याख्यान लोभ १२. प्रत्याख्यान कोध १३. प्रत्यख्यान मान १४. प्रत्याख्यान माया १५. प्रत्याख्यान लोभ १३. संज्वलन क्रोध १७. संज्वलन मान १८. संज्वलन माया १६. संज्वलन लोभ २०. स्त्रीवेद २१. पुरुषवेद २२. नपुंसकवेद २३. हास्य २४. रति २५. बरति २६. भय २७. शोक २८. जुगुप्सा

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