Book Title: Dharmkosh Vyavaharkandam Vol 01 Part 03
Author(s): Lakshman Shastri Joshi
Publisher: Prajnapathshala Mandal

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Page 508
________________ . व्यवहारकाण्डम् , १२२२ भा. १०३३ " १९८४ अनि. १११८ कौ. १४३० भा. १०२९ धर्म मनास धर्म हिश्रेय धर्म एकः प धर्मकामा भु धर्मकार्ये तु धर्मकीर्त्याव धर्मज्ञस्य कृ धर्मज्ञाः शुच धर्मज्ञा धर्म धमेज्ञान् रा धर्मतन्त्रपी धर्मतन्त्रस - धर्मतोऽहं प नार. १९३९ याज. ८६८ भा. १२८६ गौत. १६६१ " १६५९ भा. १९७८, १९८५ को. ९४ बृह. ११०९ आप. १०१७ भा. १९६३ विष्णुः ११२५ भा. १२८६ : धनं पत्रनि कात्या. १२२८ *धनं प्राप्नोति - बृह. १५५८ धनं भवेत्स धनं मूलीकृ ६५२ *धनं यत्र नि कात्या. १२२८ - धनं यो बिभृ मनुः १३१८ धनं व्यपोह्य बृह. १५२० *धनं शादि व्यासः १२३१ धनं सप्तवि. नार. ११२९, मनुः १९८६ धनग्राहिणि विष्णुः ६७८ धनदानास कात्या. ७२९ धनमूलाः कि नार. ११२९ *धनमेकं वा बौधा. ११४६ *धनमेकमे धनमेवंवि कात्या. १२२८ *धनसर्वस्व नार. १६४३ धनस्त्रीहारि बृह. ७०८ धनिकर्णिक नार. ७०६ *धनिकस्य ऋ पिता. ६७६ धनिकस्य त. कात्या. ८९८ धनिकस्य तु भार. ७३१ धनिकस्य ध पिता. ६७६ *धनिकस्यैव नार. ७०६ धनिकाचक्र शुनी. ६३५ *धनिकेन तु . कात्या. ६३१ धनिम ऋणि वृव. ६७७ *धनी चोषग याज्ञ. ६८९ धनी तावत्स धनी धनेन प्रजा... ६६० धनी वोप्रग याज्ञ. ६८९ धनुः शतं प मनुः ९०९ याज्ञ ९१३, अपु. १९७६ *धनुः शतप मनुः ९०९ धनु: शत्रोर वेदाः ११२२ धनेन वैश्यः भा.. ८१९ धनामणाप मनुः १६३२ • धन्यं यशस्य भा. ८६० धन्वना गा ध वेदाः ११२२ धरकस्य मा को. १६७८ धरिममेया विष्णुः १६०९, १६७१ धर्म च व्यव कात्या. १९४२ धर्म पुराण वेदाः १००४, " १२८५ धर्मदानम *धर्मदानर धर्मपत्नी स धर्मप्रजासं “धर्मप्रजासु धर्मप्रश्नम धर्ममात्रं वा धर्ममावाह धर्ममेवं ज धर्मवंशप धर्मविवाहा धर्मशास्त्रेषु *धर्मसंकर. धर्मस्थं प्रदे धर्मस्थश्च स्वा धमेस्थीयाचा धर्मस्य वंश धर्मादिनोग्रा धर्माद्विचलि धर्मार्थ कारि धर्मार्थ प्रीति धर्मार्थ येन धर्मार्थ वर्जि धर्मार्थ वर्षि धर्मार्थकाम धर्मार्थों यत्र *धर्मेण विनि मनुः १३०४ धर्मेण व्यव नार. ७२३ धर्मे प्रयत भा. १९३४ धर्मोपदेशं मनुः १७७६ नार. १७८८; अपु. १७९२ धर्मोपदेशः बृह. १७९० *धर्मो राज्ञः पा वसि. १९२० धर्मो ह्यधर्मों को. १९२३ धर्म्य विभाग मनुः १२४६ धम्या स्त्रियं स भा. १९६४ *धयोदिनोद्ग्रा बृह. ७०९ धर्येण विधि स्कन्द. १३७५ *धम्र्येण व्यव . मनुः ७१७. धाता च सम.. भा. १०३० धाता विपश्चि. वेदाः १००१ धातुर्देवस्य । धातुश्च योनौ धातूनां कूट शुनी. १७६७ धात्रीपरिचा को. ८१७ धात्रीमाहिति धान्यं दशभ्यः मनुः १७१४ नार. १७५० धान्यं हिरण्यं भार. ७३१ धान्यशाकमू कों. १९२४ धान्यस्नेहक्षा , १६७८ धान्यस्य दश भा., ८६० धान्यहतो द बृह. १७६० *धान्यहारा द *धान्यानि वाप कात्या. ९५९ धान्यापहार्ये विष्णुः १६६९ धान्ये चतुर्गु धान्येनैव र वसि. ६०९ धान्ये सदेल मनुः ६१२ धारणं पर कात्या. १८८७ धारणकसं कौ. ६३८ धारयन्ति म . भा. १०३३ *धारयेद्वा ऋ बृह. ७२६ धारयेन्मज शुनी. १११९ अपु. १९७९ धार्मिकश्च कु भा. १२८६ धार्य शुल्कम आप. १६६६ धायो सा वर्षे शंखः १०२४ कात्या. ११०९ धार्योऽवरुद्ध धारा देवेषु वेदाः . ९२३ देव. ११११ कौ. १०४० भा. १२८७ नार. १९३४ को. १६७९ " . ७५७ १६९० गौत. १९१७ बृह. ७०९ वारा. १०७७ नार. ९४७ कात्या. १२२९ मनुः .७९५ देव. १४०४ नार, १३४७ १०९७ बौधा. १९७४; मनुः" नार. १९३६ विष्णुः १९.२१ भा. ८६१ आप. १०१७ भा. १२६६ धर्मासनग : धर्मिष्ठान् ध धर्मिष्ठान् ब्य धर्मे चार्थे च धर्मेण चाऽपि २८

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