Book Title: Dharmkosh Vyavaharkandam Vol 01 Part 03
Author(s): Lakshman Shastri Joshi
Publisher: Prajnapathshala Mandal

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Page 570
________________ १२६ व्यवहारकाण्डम् सप्तमी पञ्च बृम. १३५८ *सभ्याश्चान्येन नार. १६४४ | समामितर गौत. १९८२ सप्तम्यां मार्ग अपु. १९७९ सभ्याश्चास्य न सममितरे बौधा. १९४६ सप्तरात्रस्था को. १९९८ *सभ्याश्चास्य प्र *सममीशत्व सप्तरात्रादू *सभ्यास्तस्य न. *सममेतां वि याज्ञ. ९१३ सप्त वित्ताग मनुः ११११ स भ्रातृभिर्बु ,११९८, *सममेवेत गीत. १९८२ सप्तहोतार वेदाः १००६ १५८४ सममेषां वि . याज्ञ. ९१३ *सप्तांशं चाप ब्रह्म. १३७५ *समं चेतर गौत. १९८२ समयस्यान . को. ८६१ सप्तांशकच्चा " . समंजन्तु वि वेदाः ५८६ नार. ८६९ . *सप्तांशश्चाप समं दद्यात्त व्यासः ६७६ समयादन्य .. गौत. १२६३. सप्तागमाद्गृ बृह. ८०३ *समं दद्यात्तु समघ धन वसि. ६०९ प्रजा. ८.७ *समं दास्त *समर्घ धान्य सप्ताङ्गस्यह मनुः १९३० *समं दाप्यस्त समर्थः सन्न सप्ताण्विकाधि अनि. १९६८ *समं विद्याध कात्या. १२२७ समर्थश्चेद्द सप्तानां प्रक मनुः १९३० *समं सर्वे स शंखः १४२९ *समर्थस्तु द *सप्तारामगृ समं सर्वे सो *समर्थस्तु भ सप्तारामाद्गृ समं स्यातश्रु जैमि. ७७० समर्थस्तु ह प्रजा. ८.७ *समं स्वामित्व समर्थस्तोष सप्तार्तवप्र की. १८४८ *समः सर्वेषा बौधा. ११४६ समर्थान् संप्र. वारा. १३२९ सप्तावर-म मा. १२८६ समः सर्वेषु नार. १९३६ समर्पयन्ति 'वृव. ६७७ सप्ताश्वत्वस्य समक्षदर्श भा. १९६४ *समर्पिताश्च नार. ११५ *सप्रकाशं हु मनः १०८ समक्षमस व्यासः ७८९ समयमा सं वेदाः ९८२ स प्रदाप्यः कृ याज्ञ. १४३ समग्रेधन ब्रह्म. १३७५ *समवणं तु कात्या. ८३६ *स प्रदाप्योऽकृ *समघाती तु बृह. १६४७ “समवर्णद्वि मनुः १७७४ स प्राप्नुयाद्द मनुः १७०५, समजातिमु नार. १७८७ *समजातो तु मनुः १७७५ *समवर्णव्य शंखः १७७१ सफलं जाय बृय. १३५५ समत्वेनैक उश. १२३८ *समवर्णाः पु विष्णुः ११८४ सबन्धे भाग ब्यासः ६३४ स मत्स्यो नाम भा. १९८६ । समवर्णाको सब्रह्मचारी संप्र. १५३० समदण्डाः स्मृ नार. १७५५; समवर्णासु भा. १९८४. स ब्राह्मणस्य वेदाः१४६४, कात्या. १७६२ १२३४, बृह. १२३७ १६०० *समधा चेत गौत. १९८२ मनुः १२४९ सब्राह्मणान् आप. १९१८ समधा वाऽज्ये , १२३३ *समवर्णास्तु १७७४ *स भोऽऽकारि कात्या. ६३३ समधेतर समवणे द्वि स भवत्या न वारा. १०७५ *स मन्यते यः नार. १८२६ नार. १७८७ सभां प्रपद्य भा. १९६३ समन्यूनाधि बृह. ७६५, समवर्णेऽपि कात्या. ८३६ समाप्रपादे बृह. ८७३ ७८४, ११७३,१७९० *समवर्द्वि नार. १७८७ *सभाप्रपाबू मनुः १६९५ शुनी. ७९० *समवर्णोऽपि . कात्या. ८३६ सभाप्रपापू समभक्तं च स्कन्द. १९६५ समवाये चै को. ८६३ १९२९ नार. १७५४ समभामप्र बृय. १३५५ समवायेन याज्ञ. ७७७ सभामेति कि वेदाः १८९४ समभागाश्च भा. १२४४ समविद्याधि कात्या. १२२७ सभाया मध्ये आप. १९०३ *समभागेन याज्ञ. ७७७ समवेतास्तु " ७८८ सभिकः कार समभागो ग्र बृय. १४६२ समवेतैस्तु बृह. ७८६, कात्या. १९१४ | *सममंशंस बृह. ११७९ ११९३, १२००, १२२२; . सभिकाधिष्ठि बृह. १९१३ *सममंशत्व काल्या. ८९८ . सभिको ग्राह सममंशिव *समश: सर्वे बौधा. ११४६ सभ्या: सजाय याश. १९३३ । सममत्तप्र नार. १७४६ समस्तत्र वि मनुः १२११, असभ्यापायवि कात्या. ७५३ सममिच्छन्ति देव. १२०३ १२९७, १३१६, १५४३ " १९८२

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