Book Title: Dharmkosh Vyavaharkandam Vol 01 Part 03
Author(s): Lakshman Shastri Joshi
Publisher: Prajnapathshala Mandal

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Page 572
________________ १२४ . ... .व्यवहारकापडम् सर्वच रिक्थ , सर्व प्रदक्षि: सर्व यज्ञरसं सर्व वा पूर्व सर्व वा रिक्ष *सर्व एव वा . सर्व एव वि सर्वकण्टक . १९३० सर्वकर्मस्व . *सर्वकर्मास्व सर्वकार्यप्र *सर्वकार्ये प्र: सर्वकार्येषु . सर्वकालम . सर्वज्ञख्याफ सर्वश्वं सर्व : सर्वतो धर्म: समेतो योजसर्वत्र चौप सर्वत्र तु सः *सर्वत्र वशि *सर्वत्र दायि सर्वत्र योग्य सर्वत्र राज *सर्वत्र स दो *सर्वत्र स्थाव सर्वत्र स्वामि सर्वत्रादाय : *सर्वत्रादायि सर्वत्रानुम: सवेथा तार सवेथा ब्राह्म सवेथा सज सर्वबन्धुवि. सवेभक्ष्याच सर्वभूतप्र. *सर्वभूतिर्हि सर्वमर्हति । सर्वमेतद्वि. सर्वमेव ह। सर्वमेवान सर्वर्णानां सर्ववास्तुक सर्ववेदर्य .. मनुः १२४७] सर्वविनाशे गौत. ९०४ । सर्वासामेव अङ्गि. १११६ वेदाः ९९८ | सर्वशास्त्रवि भा. १२४३ . सर्वास्तास्तेन हारी. १२६४ ११४४ सर्वसस्येभ्यः विष्णुः १६७१ वसि. १२७२, मनुः १२९३ गौत.. १९९५ . सर्वस्मिन्स्थाव सर्वास्वापत्सु बृह. १२५१ मनुः १२४६ सर्वस्मै तस्मै वेदाः १६०२ सर्वाहमस्मि वेदाः ९६६ विष्णुः १६७१ *सर्वस्य द्राय: देव. १५२६ सर्वे काङ्क्षन्ति सर्वस्थ वा ए वेदाः १५९९ सर्वे च तत्स्वा विष्णुः १६०९, मनुः १३९८ सर्वस्वं गृह , कात्या. ८०५ १७९८ , १७०८, *सर्वस्वं च व्य मनुः १८०५ सर्वे च पुरु सर्वस्वं तस्य कात्या. ८०५ *सर्वे चानौर देव. १३५१ विष्णुः १०२३ सर्वस्वं तु हा यमः १९४३ सर्वे चापि वि भा. १९८४ *सर्वस्वं ते प्र. कात्या. ८०५ सर्वे चोत्तरी गौत. ८१३: . बृह. ८७३ सर्वस्वं पुत्र . कौ. ७९४ सर्वेच्छया क नार. १९९८ *सर्वस्वं वा पू... गौत. ११९५ *सर्वे जनप कात्या. ९५९ कात्या.. ८०५ सर्वस्वं स्त्री तु . नार. १७५० सर्वे जनाः स भा. १०२९ *सर्वस्वं हर " " *सर्व जानप को. १६८२ कात्या. १७६१ *सर्वे तत्स्वामि विष्णुः १७९८ भा. १०२८ व्यासः १७६५ सर्वे ते गोत्रि । हारी. १२६६ सर्वस्वगृह : कात्या. ८०५ सर्वे ते तेन । १२६४ बापे. १६६४ *सर्वस्वग्रह . याज्ञ. ८६७ वसि. १२७२ को. १९२५ सर्वस्वस्याधि मासो. १९७० मनुः १२९० मनुः ९११ सर्वस्वहर याज्ञ. ८६७ *सर्वे तेनैव बृह. ८७३, कात्या. १७६१) सर्वे ते मनु हारी. १२६६ देव. १५२६ वृहा. १८९१ नार. १९३५ यमः '१३५२ चारा. १०७७ सर्वस्वहार. मनुः १६२७ *सर्वे ते शौद्रि हारी. १२६६ को. १८५० सर्वस्वेऽपि जि कात्या. १९१५ सर्वे देवा उ : वेदाः १००० मनु:- ९११ *सर्वस्वे विजि *सर्वे धर्मयु आप. १३८७ सर्वहितमे को. ८६२ *सर्वेऽपि काङ्क्ष बृह. ११८० विष्णुः, ९०५ सर्वास्तांस्तेन मनुः १२९० *सर्वेऽपि धर्म आप. १३८७. देव. १५२६ *सर्वास्तान् घा *सर्वे पुरुष विष्णुः १७९७ सांस्तु कुर्य कालि. १३७७ सर्वे पृथक् . मनुः ९३८ आप. १६६६ सर्वाणि ज्ञाति मनुः १३९३ नार. ९४५ भा, १९८५ सर्वाण्युदका आप. १९७३ *सर्वेऽप्यनौर • देव. १६५१ मनु: १९३० सर्वाण्येतान्य भा. १२८३ सर्वे प्रतिभु हारी. ६६२ भा. १०३३ सर्वधनियंक यमः ६६० सर्वे वर्णा वा विष्णुः ६१० स्मृत्य. १५२९ • सर्वाधिकर - को.१६८० *सर्वेषां च वि .कात्या. ७५३ हारी. १०१७ सर्वानर्थः कु - भा. १९८४ सर्वेषां चैव शौन. १३६५ “मनुः १०७० *सर्वान्नस्त्राय: शंखः १२८१ सर्वेषां चोग्र स्कन्द. १९६५ सर्वापराधे : __ को.१६८७ सर्वेषां धन मनुः ११८९. भा. १३९१ सर्वपलाप्ये विष्णुः ७१६ सर्वेषां धर्म भा. १०२७ .. १९७८ सर्वापायवि. कात्या. ७५३ सर्वेषां पुत्र स्मृत्य. १५२९ संग्र.. ११९९ . सर्वभावेऽपि विष्णुः १५७५ सर्वेषां प्रीत्या कौ. १४३० भा. १२८४ सर्वाभावे रा आप. १४६७ सर्वेषां महि भा. १०२७ आप. १६६६ सर्वावस्थाग वारा, १०७६ *सर्वेषां मूल्य नार. १७५० को.. ९२६ सर्वासां प्रोषि शंखः १०२६ सर्वेषां वा स्त्री को. १६१५. वेदाः ...९२ । सर्वासामेक मनुः १२९३ सर्वेषां स्वदा शंखः १८४७.

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