Book Title: Dharmkosh Vyavaharkandam Vol 01 Part 03
Author(s): Lakshman Shastri Joshi
Publisher: Prajnapathshala Mandal
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श्लोकार्थानुक्रमणिका
सूर्येव नारि सर्यो देवीमु सृगालयोनि सृजेयुर्बान्ध सृत्वेव काम *सेच्छानुपेयु
८७
"
८८८
*सेतुं प्रकल्प
सेतुं प्रवर्त * सेतुकुब्जक सेतुकूपपु सेतुकेदार सेतुभेदक सेतुभेदका *सेतुभेदकृ सेतुभ्यो मुञ्च सेतुवनप सेतुवल्मीक *सेतुश्च द्विवि सेतुस्तु द्विवि सेदीशे यस्य + सेना वा इन्द्र सेयं ऋगस्मि संयं ऋगिदं सेयं त्वामनु सेह कीर्तिम
"
९८५
वेदाः १००२ । सोऽनुज्ञातो ह मनुः १३१० | सौदायिक ध कात्या. १४५५ " ९६४ सोऽन्तर्दशाहा .. ८७९, | *सादायक स , १४५६ मनुः १०५३
१९७५ सौदायिक स्त्री विष्णुः १४२८ को. १३९१
*सोऽन्तर्दशाहे मनुः ८७९ *सौदायिकक बृह. ८०३ वेदाः १००६ सोऽपत्यं भ्रातु
सौदायिके स कात्या. १४५५ नार. १८८२% सोपसर्गस्त पिता. ६७६
सौदासेन च भा. १२८५ कात्या. १८८८ *सोऽपि कर्मक नार. ८२८ सौभाग्यमस्मै वेदाः ९८४, नार. ९४७ *सोऽपि कर्मक
१००२ *सोऽपि तद्विगु
सौभाग्यवद कात्या. १९१० मनुः ९३४
सौराक्षिक वृ बृह. ७.८ को. ९३१ सोऽपि दत्तं ह. भा. १२४४
*सौराक्षिक नार. ९४४ सोऽपि यत्नेन याज्ञ. ८६६ *सौराक्षि व याज्ञ. १६२८ सोऽप्यशक्तः श विष्णुः १९२१
सौवर्णैर्माषः भाष्य. ९२१ विष्णुः १६०९ सोऽप्यशक्तो दे
स्कन्धवधे
पू को . १८.. सोऽब्रवीदत्र वेदाः १०१० स्कन्धवाचंच नार. ७८४, को. ९३० सोऽब्रवीदुरं
स्कन्धादादाय ., ९३२ सोऽब्रवीद्विज भा. १२८४ स्कन्धेनादाय बौधा. १६६० याज्ञ. ९४० सोम राजानं वेदाः १००६
मनुः १७०२ नार. ९४६ सोमं वै राजा
स्तम्भकस्य प्र सोमः प्रथमो
स्तम्भैः समन्त को. ९०६. सोमः शौच द याज्ञ. १०८६६ स्तुतस्तन्दुल
बौधा. १८४५ स्तुये प्रातस्स की. ७७२ , १०१०
सोमजुष्टं व्र वेदाः ९९७ स्तैनः प्रकीर्ण गौत. १६५८ सोमपे शत
आप. १६६४ भा. १९८६ सोम राजन्त्सं वेदाः ८५९ स्तेनः प्रकीर्य बौधा. १६६७ याज्ञ. १०८५, सोमविक्रया को. ७७२ स्तेनः प्रमुक्तो आप. १६६६ १०८८ *सोमस्य जाया वेदाः ९८५, स्तेनपारदा
. कौ. १६१७ मनुः १०६३
*स्तेनसाहस . वेदाः १४२४ सोमस्येव मौ
, १८९३ *स्तेनसाहसि वसि. १९७७ सोमाय राज्ञे मनुः १२९४ स्तेनस्यातः प्र मनुः १६९. वेदाः ८५८ सोमो ओषधी वेदाः १९८१ स्तनस्याथ प्र " ११८१ सोमो दददि शौन. १३६४ | *स्तेनाः सर्व ए विष्णुः १६७१
सोमो ददद्ग वेदाः ९८५, *स्तेनाः सर्वम " १२६०
१००१ स्तेनाः सुरापा यमः १९४३ मनुः १३९७ सोमो राजा प्र
" १८३८ स्तेनानां निन
मनुः १६९९ मार्क. ९६२ *सोमो राजा भ वसि. १९२० स्तेनानां पाप " १६९५, सोमो वधूयु वेदाः १०००
१९२९ याज्ञ. ८८३ सोमोऽस्य राजा वसि. १९२० स्तेनानामेत
सोमो ह्यस्य दा वेदाः ११४३, स्तेनान् राजा मनुः १९३० संग्र. १५२९
१४६४, १६०० स्तेनाभिशस्त वसि. १६६७. को. १२८९ सोऽयं ते श्वशु वारा. १३२९ स्तेने निपात नार. १७४९ मनुः १५४४ सोऽस्या दद्याह नार. ६९९ स्तेनेष्वलभ्य
"१७५७, नार. ८२८
सोऽस्योद्धारो य वेदाः ११८१ सोहं भगव
" ८१४
स्तेनोऽनुप्रवे वसि. १६६० कात्या.
सोऽहमेवं वि भा. १२८४ स्तेनो हिरण्य वेदाः १५९२ सौदायिकं क बृह. ८०३. स्तेयं कृत्वा सु, थाप. १६६
कात्या. ८०६
सेह निन्दाम सैतां दशह सैषा भ्रूणह सैषा संज्ञानी सोऽग्निमब्रवी सोऽकायमते सोऽजीगतं सौ सोऽज्येष्ठः स्याद सोत्सेधनं स *सोत्सेधवप्र सोदयं तस्य -सोदराश्च स सोदयोः सन्त्य -सोदर्याणाम
सोदर्या विभ । सोऽधिकर्मक
सोऽधिकर्मक सोऽनिबद्धः प्र सोऽनिरुद्धः प्र
"

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