Book Title: Dharmkosh Vyavaharkandam Vol 01 Part 03
Author(s): Lakshman Shastri Joshi
Publisher: Prajnapathshala Mandal
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वधूर्जजान *वचूर्जिंगाय
भूमाव
ये चोरभ *वधे तत्र प्र
तस्य प्र वधेन गोपो *वधेन पालो
बचेन शुद्ध बचे क्षोभ
वधे वधः *वधो दण्डो भ वध्यः शूद्र आ बध्ये कर्मणि
*वनस्थस्य ध वनस्पतिभ्यः
: वनस्पतीनां
चने निवत्स्या मने निवास वन्ध्यां स्त्रीजन *वन्ध्याऽपुत्रासु वन्ध्या वा मृत बन्ध्याष्टमेऽधि वस्रभिः
1: get: पुत्र
वयं घाते अ वयं जयेम
वयं तदस्य
वयं राज वयोज्यष्ठक वयोविद्यात
वरं कूपश वरं क्रतुश वरं रूपमु वरं वा रूप चरणाद् ग्रह
वरदस्तु व बरदानेन
वरदोषं वि वरदोषान
चरयितुर्वा
त्यातु द्वि
रविवा वरस्य दत्त
वेदाः ९९३
99
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बृह. ८७२ काल्या. १८८८
नार. ९१८
33
मनुः १७०२ बोधा. १६६७
बी. १६१८
मत्स्य. १८९२ आप. ९८४४
ور
यमः १८३५ विष्णुः १४७१ भा. १०३१
मनुः १८०४; कात्या. १८३४ वारा. १०७६
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नार. १९८० मनुः १९५१ शौन. १३६२
मनुः १०५७
वेदा: १०२,
१९७९
८४१
१९००
८१०
१९००
बृह. १२२४
१९८७
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भा. १९८५
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बीचा. १६६०
११४६
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नार. १०९३
भा. १०३१
१३९१
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विष्णुः १०२३ अपु. १९७५
कौ. ८७९ कात्या. ११०९ भा. १२८४
शंखः १०२४ शाता. १९१६
- व्यवहारकोण्डम् :
वारेष्ठा सर्व
वरुणं देवा वास्ते अ वरुणस्त्वा न
वरुणाय प्र
वरुणेन य वरुणोऽपाम
वरो दोषं स ● स्थानं वर्ग:स्थानं व वर्चो गोषु प्र
से
वर्जयन्ति च
वर्जिताः पच
वर्ण रूपं प्र
* वर्णक्रमाच
वर्णक्रमाच्छ
कमाच्छु *वर्णक्रमानु वर्णकमेय
* वर्णत्रयस्य वर्णयोक्ष
* वर्णरूप
वर्णचतुर्थः वर्णसंकर
वर्णस्वराका
*वर्णा आश्रमा वर्णानां परि वर्णानां प्राति
वर्णानां यद्व
वर्णानां संक वर्णानामनु
वर्णानामानु
वर्णानाश्रमां
वर्णानुक्रमे *वर्णान्त्येष्
वर्णाव वर्णाश्रमवि वर्णाश्रमाः स्व वर्णाश्रमाणां
वारा. १०७७
वेदाः ११४३
वर्णिनां च त वर्णे तृतीये.
"""
७९२
कौ. १८५१
".
मनुः १९३०
वेदाः १६०३
मत्स्य. १९७५
बृह. ९५३
39
१००२
"
भा. १९२२
ब्रह्म. १३७४
मनुः १९५४
याज्ञ. ६१९
23
"
""
कात्या.
८३६
अपु. १९६२ कात्या. ८३५
22
भा. १२८७
मनुः १९५४ भा. ८१८
नार. १९३३
भा.
नार.
१७५३
गौत. १९१७
-८१८
८२९
१४०३
मनुः २०६८ उश. १२३८ याज्ञ. ८२४,
१७८४; काल्या. ८३६.
• नार. ८२९६ उश. १२३८ गौत. १९१६
विष्णुः १२४०
याज्ञ. १७८४
नार. १२५०
बृह. १९४१ गीत. १९१७ विष्णुः १९२१
बृह. १९४१
स्कन्द. १९६५ भा. १२४३
वर्णात्कर्षम वर्णोत्तमानां
* वर्तते चेत्प्र वर्तते यस्य
वर्तते हि म * वर्तनादभि
वर्तमानोऽव
वर्तेत चेत्प्र वर्तेत याम्य बन रक्ष
वर्धितं द्विगु
* धर्मसस्यास वर्षाण्यष्टाव
वर्षा यो स वर्षाप्रम वर्षावग्रहे
वर्षा स वल्ली गुल्मल
यशाच
यशाऽपुत्रासु विश्यां कुमारीं वसनं त्रिप
वसनस्याऽश
वसनाशन
वानस्त्रीन् वसिष्ठकर
वसिष्ठवच
वसिष्ठविहि
वसिष्ठाव
*वसुकुडहि
वसुकुप्यहि वसुदेवो म वसेयुः पूजि
बसेसुर्दश
वसेयुद
32
वस्त्रं चतुर्गु
छत्रम
वस्त्रं पत्रम
कौ. १६७४
, १६१८, कात्या. १९१४ संप्र. ११४२शुनी. १९१८५
भा. १०२७. संव. १८९९
नार. १७५२,.
१९३६
कात्या. १९१४
मनुः १९३१
नार. ११२९. लहा. ७३२ कात्या. ६३३ कौ. १३०४, १४३१
कात्या. ९६०
१९२४
39
"
कात्या.
९६०
विष्णुः १६०९, १७९८.
बोधा. १०२०
मनुः १९५१
भा. १२८६
बृह. १५२०.
""
" 39.
याज्ञ. १७३६
शंखः १२८२
वसि. ६०९
मनुः ६११६
नार. ६२४
स्कन्द. १९६५
ध्यासः
८९९
ار
33
हरि. १३७६ क. १९२५
कात्या. १५८२
नार. १५८१ कात्या. १५८२ याज्ञ. ६६८
विष्णुः १२०६/
मनुः १२०९ विष्णुः १२०६

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