Book Title: Dashvaikalika Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अध्ययन ४ सूः ७ दण्डपरित्यागस्य सामान्यविशेषभावः परिमाणविशेपे तादाम्यसम्बन्धेन ( अभेदसम्बन्धेन) अन्वये सति द्रोणाभिन्नं परिमाणमिति बोधः, ततश्च प्रत्ययार्थपरिमाणस्य परिच्छेद्य-परिच्छेदकभावेन बीहिपदार्थेऽन्वये द्रोणामिन्नं यत्परिमाणं तत्परिच्छिन्नो (तत्परिमितो) बीहिरिति वोधः, अत्र प्रत्ययार्थस्य बीहावन्धयमदर्शनं प्रकृतानुपयोग्यपि प्रसङ्गतः कृतम् । यद्वा-यथा 'उपाध्यायो मुनि'-रित्यत्रोपाध्यायशब्दार्थे उपाध्यायपदधारिणि मुनिविशेषे मुनिशब्दार्थस्य मुनिसामान्यस्य तादात्म्यसम्बन्धेन (अभेदसम्बन्धेन) अन्वयः, तथा च-उपाध्यायाभिन्नो मुनिरिति वोधः, तत्र विशेषत्वेन विवक्षितपदार्थ उपाध्यायपदधारिणि मुनिविशेषे मुनिशब्दार्थस्य मुनित्वस्य सत्त्वादुभयोः द्वारा अन्वय होता है । इस अन्वयसे "चार आढकरूप परिमाण" (एक प्रकारका तौल) ऐसा बोध होता है। उस प्रत्ययार्थ परिमाणसामान्यको परिच्छेद्य-परिच्छेदक-भाव सम्बन्धसे व्रीहि पदार्थमें अन्वय होनेसे "उस परिमाणसे परिमित (मापा हुआ) व्रीहि" ऐसा बोध होता है । यहां व्रीहिमें अन्वय प्रसंगवश दिखलाया गया है। अथवा
"उपाध्यायो मुनिः" यहाँ उपाध्याय शब्दका अर्थ है उपाध्यायपद्धारी मुनिविशेष (१), तथा मुनि शब्दका अर्थ मुनिसामान्य (२), अतः जो उपाध्याय है वही मुनि है, अर्थात् मुनिसे अन्य उपाध्याय नहीं है इसलिए उपाध्याय शब्दार्थको मुनि शब्दार्थके साथ अभेद सम्बन्धसे अन्वय होता है तो 'उपाध्यायसे अभिन्न मुनि' ऐसा बोध होता है। यहां विशेष याने उपाध्यायपदधारी (व्यक्ति) में मुनिके અન્વયથી “ચાર આહક રૂપ પરિમાણુ” (એક પ્રકારને તેલ) એ બંધ થાય છે. એ પ્રત્યયાર્થ–પરિમાણુ–સામાન્યને પરિચ્છેદ્ય–પરિછેદક–ભાવ સંબંધથી ત્રીહિ પદાર્થમાં અન્વય થવાથી “એ પરિમાણથી પરિમિત (માપેલા) વ્રીહિ” એ. બોધ થાય છે. અહીં વ્રીહિમાં અન્વયે પ્રસંગવશ બતાવવામાં આવ્યું છે. અથવા
उपाध्यायो मुनिः सभी उपाध्याय शो मर्थ छ-उपाध्याय पधारी मुनि-विशेष (१), तथा भुनि शहने अर्थ छ मुनि-सामान्य (२), सटवे रे ઉપાધ્યાય છે તે જ મુનિ છે, અર્થાત્ મુનિથી જૂદે ઉપાધ્યાય નથી. એથી કરીને ઉપાધ્યાય શબ્દાર્થને મુનિ શબ્દાર્થની સાથે અભેદ સંબંધથી અન્વય થાય છે, અને તેથી “ઉપાધ્યાયથી અભિન્ન મુનિ” એ બંધ થાય છે. એમાં વિશેષ કરીને ઉપાધ્યાય-પદધારી (વ્યકિત)માં મુનિના સામાન્ય ધર્મરૂપ મુનિત્વનું