Book Title: Yogkalpalata
Author(s): Girish Parmanand Kapadia
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 60
________________ नमस्कारफलम् ४७ तथा भूत-प्रेतादिजन्य बाधा का दूर होना नमस्कार मन्त्र का फल है।।५।। ऐश्वर्यं परमं लोके मन्त्रसिद्धिरनुत्तमा। प्रसिद्धिः सर्वदेशेषु नमस्कारस्य सत्फलम्।।६।। लोक में परं ऐश्वर्य की प्राप्ति, मन्त्र की सिद्धि, चारों ओर प्रसिद्धि नमस्कार मंत्र का है।।६।। महासौख्यं च सर्वत्र सर्वाशापरिपूरणम्। साधूनां सौमनस्यं च नमस्कारस्य सत्फलम्।।७।। सर्वत्र सुख की प्राप्ति, सभी आशाओं की पूर्ति, साधुओं की सौमनस्यता (कृपा) ही नमस्कार महामन्त्र का फल है।।७।। सिद्धिः काम्यप्रयोगानां परचक्रपराभवः। सर्वभीतिविनाशश्च नमस्कारस्य सत्फलम्।।८।। कामनापूर्ति के लिए किये जानेवाले अनुष्ठान में सिद्धि, शत्रुसेना का पराजय सभी प्रकार के भय का नाश ये सब नमस्कार मन्त्र का फल है।।८।। तन्त्रप्रयोगविज्ञानं यन्त्रकौशल्यमद्भुतम्। विश्वासः परमो मन्त्रे नमस्कारस्य सत्फलम्।।९।। तन्त्रप्रयोग का विशिष्ट ज्ञान, यन्त्र में अद्भुत कुशलता और मंत्र में परम विश्वास नमस्कार मंत्र का फल है।।९।। अयत्नेन वशे विद्याः कलाः सर्वा धनं महत्। तथाप्यात्मविचारश्च नमस्कारस्य सत्फलम्।।१०।। विना यत्न किये सभी विद्यायें एवं सभी कलाओं की सिद्धि है तथा महान् सम्पत्ति मिलती है फिर भी आत्मविचार के तरफ मन झुकता है यह नमस्कार मंत्र का फल है।।१०।। दुष्करेष्वपि कार्येषु सौकर्यं प्रतिभाति यत्। सर्वदेवप्रसादात्तन्नमस्कारस्य सत्फलम्।।११।।

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