Book Title: Shabdarnava Chandrika
Author(s): Shreelal Jain Vyakaranshastri
Publisher: Pannalal Jain Granthamala

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Page 287
________________ Kait १८८ अट ५८९ पट १९० इट १९१ १९२ किटी ५९३ रुठि ५९४ कुठि बैंक के ५९५ अठ ५९६ डड ५९७ पठ ५९८ बठ ५९९ मठ ६०० मद ६०१ कठ ६०२ हठ ६०३ उठ ६०४ पिठि ६०५ शठ ६०६ शुठ ६०७ श्रुठ ६०८ लुठि ६०९ शुठि ६१० विड ६११ अड ६१२ लड ६१३ कड ६१४ कड ६१५ चुड्ड ६१६ अड ६१७ मडि ६१८ घुडि ६१९ चुडि ६२० मुडि १२९ वडि ६२२ रुटि १२३ लुटि ६२४ गडि ६२९ pla गतौ व्यक्तयां वाचि स्थौल्ये मदनिवासयोः कृच्छ्रजीवे स्तुतिशठत्वयोः उपवाते हिंसासंक्केशयोः कैतवे गतिप्रतिघाते आलस्ये शोषणे आक्रोशे उद्यमे बिलासे भदे कार्कश्य भावकरणे अभियोगे भूषायां प्रमर्दने अल्पीभावे खंडने विभाजने 窟 स्तये मुखकदेशे बिहारे ६२६ वड ६२७ गा ६२८ धूप ६२९ जल्प ६३० रप ६३१ रूप ६३२ जप ६१३ चप ६३४ षच ६३५ चुप ६३६ तुप ६३७ तुंप ६३८ तुफ १३९ तुफ ६४० त्रुप ६४१ प ६४२ त्रुफ ६४३ फ ६४४ षिभु ६४५ बिंभु ६४६ शुभ ६४७ यभौ ६४८ जम ६४९ पर्प ६५० रफ ६५१ रफि ६५२ अर्ब ६५३ वर्ष ६५४ कर्ब ६५५ खर्च ६५६ ग ६५७ शर्ब ६१८ प ६५९ चर्ब ६६० गम्ल ६६१ मृ ६६२ प्रु ६६३ जुबि तोडने रक्षण सपः संतापे मानसे च सोने समवाये मदायां गतौ हिंसायां भाषणे च मैथुने गतौ arriयोगे

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