Book Title: Satikachatvar Karmgrantha
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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चउसटिपिढिकरंड२५ जाणइ बझेऽणुमाणाओ
२६ चतुर्थतृतीयपञ्चमे
जातिस्मरणं त्वाभिनिबोधिचतुर्वर्णस्य सङ्घस्य
जाव णं एस जीवे एयह
११५ चत्तारि य कोडिसया
जिण अजिण तित्थऽतिस्था चितिदेहावासोपसमा
जीवत्तमभवत्तं
१९९ चैत्यप्रतिश्रयाराम
जीवाइपयत्थेसुं (पञ्च० ल. वृ०५०३२) ११८ चोयालं लक्खाई
जीवाजीवा पुन्नं चोरा गामवहत्थं
जे पुण संचिंतेड
जे वेएइ ते बंध छग तिनि तिनि सुन्न
जो अक्खरोवलंभो छप्पनदोसयंगुल
जो उवसमसम्मट्टिी
१४३ छन्वीसं पयकोडी
जोएण कम्मएणं
१५३-१५४ जो किर जहन्न जोगो
७७-१६३ जोगनिरोहं करित्ता
१६३ जंघाबलम्मि खीणे
१३७ जो दुवे वारे उवसमजं चउदसपुव्वधरा
- १५ जं बहुबहुविहखिप्पा
ज्ञानदर्शनयोस्तद्वत् जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ता
ज्ञानस्य फलं विरतिः जं सामाग्गहणं जं सामिकालकारण
| झाणम्मि वि धम्मेणं जत्तिए जीवो अवगाढो जत्थ मइनाणं तत्थ सु
ठिइबंधु दलस्स ठिई जय जीव नन्द क्षत्रिय
ठिय अ@िओ य कप्पो जल्लेसे मरइ तल्लेसे उ
१४४-१६७
ठियकप्पम्मि विनियमा जस्साउएण तुल्लाई
७६-१६० जह इह य कंचणोवलजह गुडदहीणि विसमा (पञ्च०ल००प०३२)११८ जह जम्बुपायवेगो
णइ चेअ चिय च अवजह दुब्वयणमवयणं जह लिम्मला वि चक्खू
। तं संजयस्स सव्व
१७५ जहन्नपए संखेजा सं
तं सन्नावंजणलद्धिजहन्नयं संखिजयं कित्ति
| तं समासओ चउम्विहं पन्न. १४-२१-२१ जह बेइंदियाणं तहा
| तं समासओ छव्विहं पन्नजह रत्नो पडिहारो
तइयकसायाणुदए जह राया तह जीवो
तयसमयम्मि मंथं
१६० जह सुद्धजलाणुगयं १३८ | तइयाए पोरिसीए
१३६ जह सुहुमं भाविंदिय१२३ तओ अणंतरं च णं बेइं
१६२ जहा नालिकेरदीववासि
३३-१४१ तओ अणंतरं च णं सुहु. जहा पुढाविकाइयाणं
२७३ तणुरोहारंभाओ जा गंठी ता पढमं ६९-१३९ तत्तो य अस्सकक्षा
ર जाणह पासह तेज
२५ तत्तो य सुहमपणगस्स
१३४
डोलः
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१६३
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