Book Title: Satikachatvar Karmgrantha
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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पत्र.
दर्शन
७९
३८
0000
ज्ञान
८. निरय
शब्द पत्र. | शब्द
पत्र. शब्द चूलिका १९५ त्रुटिताङ्ग १९५ नरत्रिक
५२ चूलिकाङ्ग १९५ दण्ड
१६० नरद्विक
५२-९९ छेदोपस्थापनीय १३० दर्शन
४-२७ नरानुपूर्वी जघन्यसङ्ख्यात
२०० ९९-१२७-१३७ नलिन
१९५ जातिचतुष्क दर्शनचतुष्क २७-८८ नलिनाङ्ग
१९५ जातिनाम
३९-४४-७८ दर्शनत्रिक ३०-७८ नवनोकषाय
३७-७८ जातिस्मरण १३ दर्शनत्रिक
नामकर्म
५-३८-७८ जीवस्थान ११२-११६ दर्शनद्विक
१६५ नाराच जिनपञ्चक |दर्शनमोह
३० निद्रा जिनकादश
१०१ दर्शनावरण ४-२७-७८ निद्राद्विक जुगुप्सा
दानान्तराय
५८ निद्रानिद्रा ९९-१२७-१२९ दीर्घकालिकी
१५ निद्रापञ्चक ज्ञानत्रिक १६६ दुरभिगन्ध
निरयगतिनाम ज्ञानावरण ४-६-७८ दुर्भगत्रिक
| निरयत्रिक
५२-७९ तनुनाम ३९-४४-७८ दुर्भगनाम
४१-५८ निरयद्विक
५२-९३ तिक्तरस
दुस्स्वरनाम ४१-५८ निरयानुपूर्वी तिर्यक्त्रिक दृष्टिवादोपदेशिकी १५ निर्माणनाम
४०-५४ तिर्यगानुपूर्वी
द्वितीयकषायाः ८६-९३ निर्विशमानक तिर्यगायुः
द्वीन्द्रियजातिनाम ४४-१९६- निर्विष्टकायिक तिर्यग्गतिनाम ४३-१२८
१२८ |निश्रित तिर्यग्द्विक ९३-५२/ देवगतिनाम
निःश्वास
१९५ तीर्थकरनाम ४०-५६ | देवत्रिक
नीचैर्गोत्र तुर्यक्रोध ९४ | देवद्विक
९४-५२ नीलवर्ण तुर्यमद ९४ देवानुपूर्वी
नोकषाय तुर्यमान ९४ देवायुः
नोकषायनवक तुर्यमाया
९४ | देशविरतिगुणस्थान ७० न्यग्रोधपरिमण्डल तुर्यलोभ ८८ देशसंयम ९९-१३७ पक्ष
१९५ तृतीयकषायाः ८६-९३ | धारणा
पञ्चविंशतिकषाय ३४-७८ ४५ ध्रुव
१३ पञ्चेन्द्रियजातिनाम ४४-११६तैजसकार्मणबन्धननाम ४८ नपुंसकचतुष्क
१२० तैजसतैजसबन्धननाम ४८ नपुंसकवेद ३८-१२९ पदश्रुत तैजसशरीरबन्धननाम
नयुत
१९५ पदसमासश्रुत तैजससङ्घातननाम
नयुताङ्ग १९५ पद्म
१९५ असचतुष्क नरकगतिनाम ४३-१२८ पद्माङ्ग
१९५ त्रसत्रिक ७९-९५ नरकत्रिक ५२-७९ पराघातनाम
४०-५३ सदशक ४१-७८ | नरकद्विक
५२-९३ परिहारविशुद्धिक असनवक ८२ नरकषोडश
१०१
परीत्तानन्तकउत्कृष्ट २०८ वसनाम ४०-५५ नरकानुपूर्वी
५२ परीत्तानन्तकजघन्य २०० त्रीन्द्रियजातिनाम ४४-११६ नरकायुः
३९/परीत्तानन्तकमध्यम २०८ त्रुटित १९५ नरकगतिनाम ४३ परीत्तासङ्ख्यातक
२०७
१३
तेजस
20
१३१
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