Book Title: Satikachatvar Karmgrantha
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 269
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भगवती भिषक्शास्त्र मूलावश्यकटीका शतक शतकबृहचूर्णि षडशीतिक सप्ततिकाचूर्णि सप्ततिचूर्णि आराध्यपाद आर्यश्याम उमास्वातिवाचक कार्मग्रन्थक गन्धहस्ती जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण क्षमाश्रमण देवर्धिवाचक पाणिनि पूज्य पूज्यपाद पौराणिक प्रज्ञाकरगुप्त प्रज्ञापनाटीकाकार बौद्ध www.kobatirth.org १० - १४६ - १५० | सप्ततिकाटीका ५० सम्मति १२३ | स्वोपज्ञकर्मविपाक ७९ १४३ स्वोपज्ञकर्मस्वीका 999 ७४-१२० | स्वोपज्ञशतकटीका १४३ स्वोपज्ञषडशीतिटीका तृतीयं परिशिष्टम् । कर्मग्रन्थटीकान्तर्गतानां ग्रन्थकृन्नान्नां सूची । स्वोपज्ञकर्मविपाकटी का ७५-१४४-१६०-१६१ १६२-१६४-१७८ १६- १२१ | भाष्यपीयूषपयोधि ७४- १८२ भाष्यसुधाम्भोनिधि २९ ९-७६-१२३-१४० भाष्यसुधांशु -१४४ - १६८ मलयगिरि ६-२० ३६- १५० | भद्रबाहुस्वामि ३६-८५- १२२-१२७-१५३-१५९ भाष्यकार २०-६३-१६१-१६२-१६३ भाष्यकृत् वाचकमुख्य वाचकवर वृद्ध ८-१५-८७- १५३ शिवशर्मसूरि ३६ - १४० | शीलाङ्क १०-१४-१७५ ४- १८-८९ - १४७-१९४ २ सुधर्मस्वामि हरिभद्रसूरि ४५ - १५४ १८२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ | हेमचन्द्रसूरि For Private and Personal Use Only ५९ ६७ ७९-१६४-१८३ ११२ ७३-७४ ७६ १६२ १३ ३-१०-१५-१६ -८३ १६१-१७८ १५५-१६३ ८१ १३० १६० १६० ७९-१३७ १२१ १४८ २२-१६-१२३-१५२-१५७ १६१-२०५ ४६-५८-६०-१९४

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