Book Title: Satikachatvar Karmgrantha
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 271
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र. ५० ७४ शब्द पत्र. शब्द पत्र. शब्द आयुः ५-३०-७८ उपाङ्ग ४६ कार्मणकार्मणबन्धननाम आयोजिकाकरण १५९| उपाङ्गत्रिक ९५ कार्मणशरीरबन्धननाम आवलिका १९५ | उष्णस्पर्श ५१ कार्मणसङ्घातननाम ४७ आहारक ४५ ऋजुमति कीलिका आहारक ९९-१२८-१४२ ऋतु १९५ कुब्ज आहारककाययोग १५२ | ऋषभनाराच ४९ कृष्णवर्ण आहारककार्मणबन्धननाम ४८ एकेन्द्रियजातिनाम ४४-११६ | केवलज्ञान ७-१२९ आहारकतैजसकार्मणबन्धननाम एकेन्द्रियत्रिक १०३ | केवलदर्शन २८-१३७ ४८ औत्पत्तिकी ११ केवलद्विक १४५-१५७ आहारकतैजसबन्धननाम ४८ औदयिकभाव १९०-१९१ केवलिसमुद्धात १५९ आहारकद्विक ५२-८१-१५ औदारिक ४४ क्रोध ३६-१२९ आहारकमिश्रकाययोग १५२ | औदारिककाययोग १५२ क्षपकश्रेणि ७४ आहारकशरीरबन्धननाम ४६ औदारिककार्मणबन्धननाम ४८ क्षायिक ३०-१३८ आहारकषक १०५ | औदारिकतैजसकार्मणबन्धननाम | क्षायिकभाव १९० आहारकसङ्घातननाम ४८ क्षायोपशमिक ३०-१३० आहारकाहारकबन्धननाम ४८ औदारिकतैजसबन्धननाम ४८ क्षायोपशमिकभाव १९० आहारपर्याप्ति ५५-११७ औदारिकद्विक ५२-८०-१५६ क्षिप्र इन्द्रिय ९८-१२७-१२८ औदारिकौदारिकबन्धननाम ४८ क्षीणकषायवीतरागच्छनास्थ. इन्द्रियपर्याप्ति ५५-११७ औदारिकमिश्रकाययोग १५३ गुणस्थान १२ औदारिकशरीरबन्धननाम ४६ खरस्पर्श उञ्चैर्गोत्र ५८ औदारिकसङ्घातननाम ४७ गति ९८-१२७-१२८ उच्छ्वास १९५ औपपातिक १५१ गतित्रस १४७ उच्छासनाम ४०-५३ औपशमिक ३०-६९-१३९ गतिनाम ३९-४३-७४ उच्छासपर्याप्ति ५६ औपशमिकभाव १८९ गन्धद्विक उत्कृष्टसङ्ख्यात २०० कटुरस | गन्धनाम ४०-५० उत्तरप्रकृति ४ कपाट गमिकश्रुत १७ उत्पल १९५ करण गुणस्थान ६७-११२-११८ उत्पलाङ्ग १९५ करणपर्याप्त ५६-११७ | गुरुस्पर्श उदय ६७-८४-११५ करणापर्याप्त ५७-११७ | गोत्र ५-५८-७८ उदीरणा ६७-८४-११५ कर्म ग्रन्थि उद्योतचतुष्क १०३ कर्मजा ग्रन्थिभेद १३९ उद्योतनाम ४०-५४ कषाय ३४-७८-९९-१२७-चक्षदर्शन २८-१३७ उपकरणेन्द्रिय १२९ चतुरिन्द्रियजातिनाम ४४-११६ उपघातनाम ४०-५४ कषायपञ्चविंशति ३४-७८ -१२८ उपभोगान्तराय कषायरस चतुर्थक्रोध उपयोग ११२-१२२-१६४ | कषायषोडशक ३४-७८ चतुर्थमद उपशमश्रेणि | काय ९८-१२७-१२८ | चतुर्थमान उपशान्तकषायवीतरागच्छद्म- काययोग १२०-१२८-१५१ चतुर्थमाया स्थगुणस्थान ७३ कार्मण चतुर्थलोभ उपशान्ताद्धा ७०कार्मणकाययोग १५३ चरणमोह ९४ For Private and Personal Use Only

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